मुरैना: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से कुछ समय पहले मुरैना पहुंचे कारीगरों के द्वारा शहर के बड़ोखर इलाके में भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. मिट्टी की प्रतिमा बनने से नदियां भी प्रदूषित होने से बचेंगी और वातावरण भी स्वच्छ रहेगा. 7 सितंबर से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है, जिसके लिए मूर्तिकार मिट्टी से बनाई गई प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने के लिए जोरों से लगे हुए हैं.
मुरैना में कोलकाता के कलाकार बना रहे हैं मूर्तियां
पूरे देश के साथ मुरैना जिले में गणेश महोत्सव शनिवार से आरंभ होने जा रहा है, जिसको लेकर युवा वर्ग में खासा उत्साह देखा जा रहा है. मुरैना में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. जगह-जगह गणेश पंडाल भी सज चुके हैं. शहर के बड़ोखर इलाके में रहने वाले मूर्तिकार बासू राठौर ने बताया कि मिट्टी की मूर्ति बनाने का काम 12 साल पहले 2012 में शुरू किया था. बासू हर साल कोलकाता से मूर्तिकारों को यहां बुलाते हैं और उनके सहयोग से मिट्टी की प्रतिमाएं बनाते हैं. कोलकाता से आए विशेष कलाकार इन प्रतिमाओं को अब अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों की पहली पसंद मिट्टी के बने भगवान गणेश हैं और लोग मिट्टी की प्रतिमा खरीदना ही ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
मिट्टी से बनाई जा रही हैं गणेश प्रतिमा
कोलकाता से आए आधा दर्जन से अधिक कलाकार मिट्टी, बांस, घास, सूतली, लकड़ी और कच्चे कलर का उपयोग कर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा बना रहे हैं. ताकि नदी में विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो. इन मिट्टी की प्रतिमाओं को एक महीने पहले से बनाना शुरू कर दिया था. पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध के बाद बासु राठौर ने कोलकाता से मूर्तिकार बुलाकर मूर्ति बनवाना शुरू किया था. मूर्तिकार का कहना है कि ''पहले साल केवल 7 मूर्तियों के ऑर्डर मिले थे, लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और इस साल करीब 150 से 200 के बीच मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. हमारे द्वारा बनाई गई मिट्टी की प्रतिमाएं श्योपुर, आगरा, अम्बाह,पोरसा, सबलगढ़, कैलारस भिंड जिले के गोरमी और राजस्थान के धौलपुर तक जाती हैं.''
गणेश महोत्सव की तैयारी