अयोध्या गए शबरी के बेर पर सियासी बवाल, कांग्रेस ने पूछा बिना सीजन कहां से आई बेर - Question on Shabri Berry in House
मॉनसून सत्र के पहले दिन विधानसभा में जमकर हंगामा और नोक झोंक हुआ. विपक्ष ने सदन में सत्ता पक्ष को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की. विपक्ष ने पूछा कि अयोध्या में जो शबरी बेर गए वो कहां से आए. बिना सीजन के शबरी के बेर तो मिलते नहीं हैं. विपक्ष के सवाल पर सरकार ने कहा कि भगवान की भूख मिटाने की शक्ति छत्तीसगढ़.
कांग्रेस ने पूछा बिना सीजन कहां से आई बेर (ETV Bharat)
रायपुर: मॉनसून सत्र के पहले दिन पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जोरदार बहस हुई. शून्य काल के दौरान कांग्रेस ने पूछा कि शबरी के जो बेर अयोध्या गए. शबरी के वो बेर कहां से आये. कांग्रेस का कहना था कि इस मौसम में तो शबरी के बेर होते नहीं हैं. जब मौसम बेर के नहीं हैं तो मंत्रिमंडल के सदस्य कौन सा बेर लेकर अयोध्या में रामजी के दरबार गए. विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस तरह के कामों से हमारी धार्मिक भावना आहत होती है. इस तरह से धार्मिक भावनाओं का खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.
कांग्रेस ने पूछा बिना सीजन कहां से आई बेर (ETV Bharat)
शबरी के बेर पर सियासी बवाल:विपक्ष के आरोपों पर सत्ता पक्ष ने भी जोरदार प्रहार किया. विपक्ष को जवाब देने की जिम्मेदारी खुद डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने उठाई. डिप्टी सीएम शर्मा ने कहा कि ''मार्केट में बेर मिलता है या नहीं पहले विपक्ष को ये पता कर लेना चाहिए था. हम छत्तीसगढ़ की जनता की भावना को लेकर अयोध्या गए. हमारे साथ राम जी के लिए जो भी सामान गया वो हमारी भावनाएं थी. विपक्ष इस तरह के मुद्दे उठाकर अपनी ही फजिहत करा रहा है.''
विपक्ष को कहां से मिला मुद्दा:दरअसल बीते दिनों मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ अयोध्या गए. रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या गए सभी सदस्य अपने साथ कुछ न कुछ रामजी के लिए लेकर गए. रामजी को शबरी के बेर काफी पसंद हैं. मान्यता है कि छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में शबरी के बेर मिलते हैं. यहां पर पाए जाने वाले बेर वहीं बेर हैं जो रामायणकाल में शबरी माता ने रामजी को जंगल में भेट किए थे. कांग्रेस का कहना है कि जब बेर का मौसम है ही नहीं तो सरकार कहां से बेर लेकर अयोध्या चली गई.
''जब सदन के नेता दर्शन के लिए जा रहे हों तो साथियों को साथ ले जाना चाहिए. अयोध्या दर्शन के लिए बीजेपी और कांग्रेस पार्टी का होने का कोई सवाल नहीं उठता है. हमलोग भी दर्शन करना चाहते थे. हम भी रामजी के दर्शन करना चाहते थे. लेकिन आप लोग तो सिर्फ दिखावे के लिए गए. सात महीने सरकार बने हुए हो गए. सात महीनों में कौन कौन से मंत्री कौशल्या माता का मंदिर देखने गए. भांचा राम को तो आप भूल गए. हमारी धार्मिक भावना के साथ आपने खिलवाड़ किया है''. - चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष
''मार्केट जाकर एक बार विपक्ष के साथियों को देखना चाहिए कि वहां बेर मिलता है या नहीं. पता करना चाहिए कि शिवरीनारायण में बेर मिलता है या फिर नहीं. हम रामजी के दरबार में शिवरीनाराण के बेर लेकर गए. अगर कांग्रेस के साथियों की कल्पना है कि जिस पड़े के बेर रामजी ने खाए थे उसी पेड़ के बेर ले जाने थे तो फिर बात अलग है. शिवरीनारायण में आप आज भी जाकर बेर ले सकते हैं. वहां से मंगाकर भगवान रामजी को हमने छत्तीसगढ़ की ओर से समर्पित किया. यह भावना की बात है. भगवान की भूख मिटाने की यदि किसी में ताकत है तो वो छत्तीसगढ़ के मातृत्व में है. हमने उस भाव को पूरा करने का काम किया है.'' - विजय शर्मा, डिप्टी सीएम
20 हजार फीट की ऊंचाई पर गूंजी रामधुन: दर्शन के लिए निकले राय मंत्रिमंडल के सदस्यों ने हवाई जहाज में यात्रा के दौरान रामधुन भी गाया. रामधुन गाने की तस्वीरें और वीडियो भी बाद में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने ट्वीट की. वीडियो में मंत्रिमंडल के सभी सदस्य रामधुन में विभोर होकर झूमते नजर आए. प्लेन के भीतर का नजारा कुछ ऐसा लगा जैसे सभी लोग मंदिर में भजन कीर्तन कर रहे हैं.
शिवरीनारायण के बेर और महुआ लेकर गए सीएम: अयोध्या दर्शन पर निकलने से पहले सीएम ने कहा था कि शिवरीनारायण के बेर रामजी को पसंद हैं. हम रामजी के ननिहाल से अयोध्या जा रहे हैं. रामजी को उनके ननिहाल का बेर भेंट करेंगे. सीएम अपने साथ रामजी के भोग के लिए महुआ के फल भी अपने साथ ले गए.