कानपुर :शहर में वैसे तो कई ऐसे सुप्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं जिनकी कुछ न कुछ विशेष मान्यता जरूर है. आज हम आपको ऐसे ही एक प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि मानसून की सटीक भविष्यवाणी करता है. यह मंदिर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर घाटमपुर के पास बेहटा गांव में स्थित है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अलावा अन्य कई भगवानों की मूर्तियां भी विराजमान है. जिस तरह मौसम विभाग के द्वारा मानसून की स्थिति की बारे में जानकारी दी जाती है. कुछ इसी तरह से इस मंदिर के गुंबद में लगा पत्थर भी मानसून के आने का संकेत देता है. इस रहस्य को जानने के लिए कई वैज्ञानिकों के द्वारा भी यहां आकर शोध किया जा चुका है.
मंदिर की गुंबद से टपकने लगती है बूंदें :ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान मंदिर के महंत केपी शुक्ला ने बताया कि, यह मंदिर मानसून के आने की भविष्यवाणी करता है. जैसे ही मानसून की शुरुआत होती है. वैसे ही इसके गुंबद में लगा पत्थर भीग जाता है. इससे लोगों को जानकारी हो जाती है की वर्षा होने वाली है. उन्होंने बताया कि, अगर पत्थर पर पानी बूंदों का रूप लेने लगता है तो इसे सामान्य बारिश होने का संकेत मिल जाता है. वहीं, अगर पत्थर से ज्यादा बूंदें टपकने लगती हैं तो इससे अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है. महंत का कहना इस बार अभी से ही पत्थर ने पसीजना शुरू कर दिया है. जिससे उनका दावा है कि इस बार अच्छी बारिश होगी.
उड़ीसा स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भी पुराना है यह मंदिर :मंदिर के महंत ने बताया कि, यह मंदिर काफी प्राचीन और विख्यात है. यह मंदिर ओडिशा में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भी पुराना है. मंदिर में प्रवेश करते ही बाएं तरफ सूर्य देव की मूर्ति है. जोकि काफी ज्यादा दुर्लभ और प्राचीन है. वहीं, मंदिर के दाएं तरफ विष्णु भगवान की मूर्ति है. महंत का कहना है कि मंदिर का जो मूल स्वरूप है, पूरे उत्तर भारत में ऐसा स्वरूप आपको देखने को नहीं मिलेगा. महंत ने बताया कि, इस मंदिर में मौर्य वंश, गुप्त वंश के प्रमाण भी देखने को मिलते हैं. इसके साथ-साथ सिंधु घाटी व हड़प्पा के समय की आकृतियां भी इस मंदिर में मौजूद हैं. जोकि यह साफ दर्शाती हैं कि इस मंदिर को बने और स्थापित हुए सैकड़ों साल हो गए हैं. इस मंदिर में मानसून की भविष्यवाणी के रहस्य को सुलझाने के लिए कई वैज्ञानिक भी आ चुके हैं. लेकिन, अभी तक किसी को भी यह पता नहीं चल सका है, कि आखिर मानसून की भविष्यवाणी का राज क्या है?