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धमतरी में करंट लगने से वानरराज की मौत, एक बंदर को वन विभाग ने बचाया

Monkey Victim Of Accident In Dhamtari धमतरी के ब्राह्मण पारा में एक बंदरों का झुंड गुरुवार को हादसे का शिकार हो गया. जिसमें एक वानर की मौत हो गई और उसकी मां घायल हो गई. लेकिन हादसे के बाद जो हुआ, वो बेहद हैरान करने वाला था. घायल साथियों के लिए जानवरों ने जो संवेदना दिखाई, वो अविश्वसनीय थी. जानिए पूरा मामला क्या है.

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 25, 2024, 6:29 PM IST

Monkey victim of accident in Dhamtari
धमतरी में वानर हादसे का शिकार

धमतरी: शहर में बंदरों के झुंड अक्सर आते-जाते रहते हैं. लेकिन गुरुवार को धमतरी के ब्राह्मण पारा इलाके में घूम रहे वानरों का झुंड हादसे का शिकार हो गया. एक बंदर का बच्चा और उसकी मां बिजली के तार की चपेट में आ गए. बिजली के झटके से बच्चे की फौरन मौत हो गई और मादा बंदर घायल हो गई. झुंड का मुखिया बंदर लगातार घायल मादा बंदर को उठाने की कोशिश करता दिखा. यह पूरा वाकया बस्ती वालों ने देखा.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, धमतरी का ब्राह्मण पारा यहां की सबसे पुरानी बस्ती में से एक है. घनी बस्ती, कच्चे-पक्के मकान, तंग गालियां, आपस में लगभग जुड़े हुए छत और इन छतों से लगे हुए बिजली के खम्भे यहां देखने को मिलेंगे. गुरुवार 25 जनवरी को बंदरो का एक झुंड बस्ती में आया था, जो पेड़ों पर लगे अमरूद या छतों पर सुखाए गए खाने की चीजों पर हाथ साफ कर रहे थे. झुंड में कई छोटे बंदर भी थे. इसी दौरान एक छत से दूसरे छत की छलांग लगाते वक्त अचानक एक बंदर का बच्चा और उसकी मां बिजली की तार की चपेट में आ गए. बिजली के झटके से बच्चे की फौरन मौत हो गई, जबकि मादा बंदर घायल हो गई. इस हादसे के बाद वानरों का पूरा झुंड बौखला गया. झुंड का मुखिया बंदर लगातार घायल मादा बंदर को उठाने और साथ ले जाने की कोशिश करता दिखा. लेकिन करंट के झटके से घायल बंदरिया सदमे में थी.

वन विभाग ने किया रेस्क्यू: बस्ती वालों की सूचना पर वन विभाग की टीम आई और मरे हुए बंदर के बच्चे को बिजली के खम्भे से उतारकर अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद घायल बंदरिया को इलाज के इरादे से पकड़ने की कोशिश भी की गई, जो नाकाम हो गई. हर बार घायल बंदरिया खुद को जाल से बाहर निकाल लेती थी. थोड़ी देर बाद मादा बंदर में ऊर्जा और चेतना लौटता देख वन विभाग ने उसके झुंड के साथ ही उसे छोड़ने का फैसला किया.

हादसे के बाद दिखी वानरों की संवेदनशीलता: यह हादसा जहां हुआ वहां से कुछ कदम की दूरी पर एक सरकारी स्कूल भी था. सुरक्षा के लिहाज से वहां का चैनल गेट बंद कर दिया गया था. यह सब कुछ करीब 3 घण्टे तक चलता रहा. लोग देखते रहे कि कैसे बंदर अपने झुंड के सदस्य का कितना और कैसे खयाल रखते हैं. जानवर होने के बावजूद उनमें अपनों के लिए बड़ी गहरी संवेदना होती है. जब तक घायल मादा बंदर वहां रही, सभी वानरों का दल उसके आसपास ही रहा. वन विभाग की टीम अभी भी एहतियात बरत रही है.

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