इंदौर:स्वच्छ शहर इंदौर में होने वाले निर्माण की अब सैटेलाइट इमेज के जरिए निगरानी होगी. दरअसल इंदौर नगर निगम ने अवैध निर्माण की निगरानी के साथ नए निर्माण से संपत्ति कर वसूली के लिए सैटेलाइट इमेज के जरिए शहरी सीमा में होने वाले हर निर्माण की निगरानी का फैसला किया है. मध्य प्रदेश के किसी शहर में सैटेलाइट इमेज के जरिए अवैध निर्माण की निगरानी का संभवत या पहला मामला है.
500 कॉलोनियों में अवैध निर्माण जारी
दरअसल, इंदौर में तमाम नियंत्रण के बावजूद भी लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं. इन अवैध निर्माण के संपत्ति कर खाते और जलकर की जानकारी नगर निगम को नहीं होती. फिलहाल स्थिति यह है कि शहर में ऐसी 500 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं जहां पर लगातार निर्माण कार्य जारी है. इन कॉलोनी में मनमाना निर्माण और निर्धारित सीमा से अधिक क्षेत्र में लगातार अवैध निर्माण जारी है. जिनके कारण इंदौर नगर निगम को सड़क और पानी के संसाधन उपलब्ध कराने के अलावा अन्य व्यवस्थाएं देने के साथ संपत्ति कर और जलकर आदि की वसूली में करोड़ों रुपए का नुकसान होता है.
सेटेलाइट से अवैध निर्माण पर रहेगी नजर (ETV Bharat) निर्माण की तस्वीर उपलब्ध कराएगी सैटेलाइट इमेज
यही वजह है कि, अब इंदौर नगर निगम ने अपनी राजस्व की आय बढ़ाने की दिशा में यह फैसला किया है. अपनी तरह के फैसले के मुताबिक, अवैध निर्माण पर नजर रखने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रयास किया जा रहा है. जिसमें सॉफ्टवेयर के माध्यम से सैटेलाइट के जरिए नए निर्माण पर नजर रखी जाएगी. इस दौरान इंदौर शहर की सैटेलाइट इमेज नगर निगम को शहर के अलग-अलग निर्माण की तस्वीर प्रतिदिन के लिहाज से उपलब्ध कराएगी.
नगर निगम को सालाना 1000 करोड़ की आय
इंदौर नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा बताते हैं कि, ''प्रतिदिन नए निर्माण की जानकारी मिलने पर संबंधित क्षेत्र के भवन अधिकारी अथवा नगर निगम के रिमूवल विभाग को अवैध निर्माण की जानकारी दी जा सकेगी. इसके अलावा यदि निर्माण अवैध नहीं है तो संबंधित निर्माण अथवा आवास से संपत्ति कर और जलकर के जल्द से जल्द आकलन के साथ वसूली की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी. ऐसी स्थिति में नगर निगम को हर साल करीब 1000 करोड़ रुपए की सालाना आय हो सकती है. जल्द ही इस प्रस्ताव पर अमल कर राजस्व वसूली शुरू की जाएगी.''
आधे शहर से ही संपत्ति कर-जलकर की वसूली
इंदौर नगर निगम के राजस्व विभाग में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, शहर में संपत्ति कर के खाते 6,95,000 के करीब हैं. जिनमें से अधिकांश लोग समय से संपत्ति कर भरते ही नहीं है. इधर नगर निगम की तुलना में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के रिकॉर्ड में 12 से 13 लाख बिजली कनेक्शन हैं. ऐसी स्थिति में नगर निगम की कोशिश है कि शहर के सभी निर्माण से संबंधित रिकॉर्ड नगर निगम के पास उपलब्ध हों. जिससे कि राजस्व के नुकसान की भरपाई जल्द से जल्द की जा सके.