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मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में बदला सीन, तीसरी पंक्ति से पहली पंक्ति का किया सफर - MOHAN YADAV 1 YEAR TENURE COMPLETE

13 दिसंबर को मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव अपने एक साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. ईटीवी भारत मध्य प्रदेश की ब्यूरो चीफ शिफाली पांडे ने बताया मोहन यादव के सीएम बनने का सफर...

MOHAN YADAV 1 YEAR TENURE COMPLETE
मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में कैसे बदला सीन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 11, 2024, 10:33 PM IST

Updated : Dec 12, 2024, 2:37 PM IST

भोपाल (शिफाली पांडे ): दिसंबर का यही महीना था. 163 विधायक कतार में बैठे थे. केन्द्र की राजनीति से राज्य की राजनीति में भेजे गए एक नेता के बंगले पर कयासों का शामियाना सजने लगा था. छन छनकर खबरें आ रही कि मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार के बंगले पर सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई है. दो दशक एमपी में बीजेपी की सत्ता का चेहरा रहे शिवराज सीएम पद की दौड़ से बाहर हो चुके थे. दोपहर के बाद जैसे-जैसे शाम ढली, कद्दावर पूर्व केन्द्रीय मंत्री का नाम भी कमजोर पड़ने लगा.

सवाल उठा तब कौन सीएम बनेगा. तभी तीसरी पंक्ति में इत्मीनान से बैठे एक विधायक के नाम पुकारा गया. वो नाम डॉ मोहन यादव का था. तीसरी पंक्ति के विधायक को पहली पंक्ति में मुख्यमंत्री बनाकर बेशक बीजेपी हाइकमान ने पहुंचाया, लेकिन चार बार के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में जो मानक तय कर गए, उसके आगे अपनी लकीर खींच पाना डॉ मोहन यादव का सबसे बड़ा इम्तेहान था.

बीते एक साल में मोहन यादव एमपी के मानस में किस तरह दर्ज हुए. उनके फैसले चार साल बीजेपी की सत्ता के मिथक बने शिवराज की छाया को पीछे छोड़ पाए. मोहन यादव ने किस तरह से एमपी में अपनी आमद दर्ज की. कैसे अपनी अलग लकीर खींच पाए. क्या पहला साल आश्वस्ति है कि मोहन यादव बीजेपी के गढ़ बन चुके एमपी में लंबी पारी के खिलाड़ी हैं.

मोहन यादव का बयान (ETV Bharat)

पहले ही फैसले में दिखाया सरकार का चेहरा

मोहन कैबिनेट का पहला फैसला जनता को सीधे प्रभावित करने वाले लाउड स्पीकर से जुड़ा था. उन्होंने पहली ही कैबिनेट में ये फैसला लिया कि मध्य प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर तय मानकों के अनुरुप ही बजाए जाएं. इस फैसले के साथ मोहन यादव ने ये बताया कि उनकी कार्यशैली अलग होगी. सरकार के शुरुआती 25 दिनों में 25 हजार मीट की दुकानें बंद हुई. सीएम का दूसरा जोर खुले में मीट की दुकानों को लेकर था. सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा खुले में मीट की दुकानें बंद करवाई और पहले 25 दिनों में 25 हजार मीट की दुकानें हटाई गई.

लाड़ली जारी, बाकी शिवराज के ये फैसले पलटे

सीएम डॉ मोहन यादव ने बहुत सधी हुई पारी की शुरुआत की. कहां बदलाव जरुरी है और कहां नहीं, बहुत स्पष्ट होकर चले. जिस योजना पर सवार होकर एमपी में सत्ता आई, उस लाड़ली बहना योजना पर सीएम डॉ मोहन यादव का सबसे ज्यादा फोकस रहा. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागरकहते हैं, "डॉ मोहन यादव संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं. वैचारिक प्रतिबद्धताएं उनकी स्पष्ट हैं, लेकिन वे बखूबी जानते हैं कि उन्हें क्या करना है और कहां किसी को अनवरत रहने देना है.

वे मामा बेशक नहीं बने, लेकिन लाड़लियों के भैय्या बनकर उन्होंने रक्षाबंधन को उत्सव का रुप दिया. उन्होंने शिवराज सरकार के फैसले भी पलटे. सीपीए जो बंद हो गया था, उसे फिर से एक्टिव कर दिया. एक झटके में बीआरटीएस कॉरीडोर हटवा दिए. राज्य परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने का फैसला लिया.

निवेश पर जोर, लोकल से लेकर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट प्लान

शुरुआती एक साल में सीएम डॉ मोहन यादव का पूरा जोर इन्वेस्टमेंट पर रहा. रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव जो की मध्य प्रदेश के ही उज्जैन, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर, सागर और देश के महानगर मुंबई, कोयंबटूर, बेंगलुरु और कोलकाता में जो रोड शो हुए, उसमें दो लाख 76 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश आया. सरकार के मुताबिक जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा के रोजगार मिलेंगे. इसी तरह यूके और जर्मनी की यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश को 78 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए.

Last Updated : Dec 12, 2024, 2:37 PM IST

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