भोपाल: यदि आपका बच्चा दिनभर मोबाइल चलाता है, उसकी इस लत से आप परेशान हो रहे हैं और इससे बच्चे पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है. तो ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. दरअसल, अब ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी सरकार उठाने वाली है. इसके लिए आयुष विभाग को योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस योजना में बच्चों को होने वाला पढ़ाई का तनाव और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की मानीटरिंग व उपचार भी किया जाएगा.
उज्जैन और शाजापुर जिले से होगी शुरुआत
बच्चों में पढ़ाई का बोझ, चिड़चिड़ापन और मोबाइल की लत समेत अन्य मानसिक और शारीरिक बीमारियों को दूर करने के लिए एमपी के आयुष विभाग ने एक योजना बनाई है. इस योजना को सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी हरी झंडी दे दी है. अब इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत उज्जैन और शाजापुर जिले में शुरू किया गया है. इन दो जिलों में सकारात्मक परिणाम आने के बाद इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. पिछले दो वर्ष में करीब ढाई सौ ऐसे बच्चों का उपचार किया गया है, जिनमें मानसिक विकार से लेकर दांत और आंख संबंधी बीमारियां थी. अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, इस प्रकार के बीमार बच्चे दूरस्थ क्षेत्रों से भोपाल तक न आएं, उन्हें स्थानीय स्तर पर ही यह इलाज मिले. इसके लिए यह नई व्यवस्था लाई जा रही है.
आंगनबाड़ी कायकर्ता और सहायिकाओं से भी ली जाएगी मदद
आयुष विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 'इस योजना पर काम करने के लिए शासन से अनुमति मिल गई है. अब इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं, आशा-उषा कार्यकर्ताओं की मदद भी ली जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं लोगों के घरों तक आसान पहुंच रखती हैं. उन्हें अपने क्षेत्र के हर घर-परिवार की जानकारी होती है. ऐसे में वो आसानी से ऐसे बच्चों को चिन्हित कर सकती हैं, जिसे इलाज की जरूरत है. ये कार्यकर्ता बच्चों को ईलाज के लिए पास के होम्योपैथी चिकित्सालयों तक पहुंचाएंगी और उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग करेंगी.