भोपाल।मध्यप्रदेश सरकार के लिए कर्ज लेना अब कोई नई बात नहीं है. हर महीने या दो माह के अंदर सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है. अभी 1 अगस्त को मध्यप्रदेश सरकार ने 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया. अब 5 हजार करोड़ का कर्जा फिर सरकार लेने जा रही है. इस माह कर्ज लेने का ये दूसरा अवसर है. खास बात ये है कि सरकार की योजना के अनुसार इस वित्त वर्ष में करीब 90 हजार करोड़ रुपये सरकार कर्ज लेगी. यानी इस वित्त वर्ष की समाप्ति पर मध्यप्रदेश पर 5 लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज हो जाएगा.
मोहन यादव सरकार का 8 माह में 5वीं बार कर्ज
पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कार्यकाल में दनादन कर्ज लिया गया. वही सिलसिला अभी भी जारी है. मध्यप्रदेश में मोहन यादव सरकार के गठन के 8 माह हुए हैं. इस दौरान सरकार 5वीं कर्ज लेने की तैयारी में है. ये 5 हजार करोड़ का कर्ज जन्माष्टमी तक मिल जाएगा. आंकड़ों के अनुसार मोहन यादव सरकार ने 23 जनवरी 2024 को 2500 करोड़ का कर्ज लिया. फिर 7 फरवरी को 3 हजार करोड़ का कर्ज उठाया. इसके बाद 22 मार्च को फिर 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया. 01 अगस्त को सरकार ने फिर 5 हजार करोड़ का लोन लिया.
आखिर बार-बार लोन लेने की जरूरत क्यों पड़ रही
मध्यप्रदेश पर 31 मार्च 2024 तक वित्त वर्ष में 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज था. एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक बीजेपी सरकार ने एक साल में 44 हजार करोड़ रुपए कर्ज उठाया. 31 मार्च 2023 को सरकार पर कर्ज की राशि 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक था. दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार की कई योजनाएं इतनी महंगी हैं कि बगैर कर्ज लिए गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती है. लाड़ली बहना योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, तीर्थ दर्शन योजना, रामपथ गमन क्षेत्रीय विकास, पीएम जन आरोग्य योजना यानि आयुष्मान भारत आदि योजनाओं पर सरकार का अधिकांश बजट खर्च हो रहा है.