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मोहन सरकार ने फाइनल की MSP, 72 लाख टन धान से भरेगा सरकारी गल्ला

मध्य प्रदेश सरकार 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदेगी धान. 2 दिसंबर से शुरू होगी धान की खरीद.

Madhya Pradesh Paddy procurement begin from December 2
मध्य प्रदेश में 2 दिसंबर से शुरू होगी धान की खरीद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार जल्द ही प्रदेश के किसानों से धान की खरीदी शुरू करने वाली है. इस बार सरकार ने 72.4 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है. 2300 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाएगी. पिछले साल मध्य प्रदेश में 70.22 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था. लेकिन इस बार रकबा और उत्पादन बढ़ा है, इसी के मद्देनजर सरकार ने खरीदारी का लक्ष्य भी बढ़ाया है.

2 दिसंबर से से शुरू होगी धान की खरीदी

खाद्य विभाग के प्रभारी अपर संचालक एचएस परमार ने बताया कि पिछले साल मध्य प्रदेश में 1 दिसंबर 2024 से धान की खरीदी शुरू हो गई थी. लेकिन इस बार 1 दिसंबर को रविवार पड़ रहा है. ऐसे में सरकार ने 2 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया गया है. हालांकि अभी प्रदेश में धान खरीदी के लिए कितने उपार्जन केंद्र बनाए जाएंगे, इसको लेकर रणनीति बनाई जा रही है. जल्द ही सरकार उपार्जन केंद्रों की सूची जारी करेगी.

7.85 लाख किसानों ने कराया पंजीयन

प्रदेश भर में धान, ज्वार, और बाजरा की सरकारी खरीद के लिए पंजीकरण 19 सितंबर 2024 से शुरू हुआ था. पंजीकरण कराने की आखिरी तारीख 4 अक्टूबर थी. लेकिन कई जिलों में किसानों के कम रजिस्ट्रेशन को देखते हुए राज्य सरकार ने पंजीयन की बढ़ाकर 14 अक्टूबर कर दिया था. जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान रजिस्ट्रेशन करवा सकें. अब तक धान, ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद के लिए कुल मिलाकर 7.85 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन किए हैं, जबकि पिछले साल 7.54 लाख किसानों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया था.

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पंजीयन और खरीदी के लिए आधार सत्यापन जरूरी

इस बार सरकार ने पंजीयन कराने और फसल बेचने के लिए आधार नंबर का वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य किया है. वेरीफिकेशन आधार नंबर से लिंक मोबाईल नंबर पर प्राप्त ओटीपी से या बायोमेट्रिक डिवाईस से किया जा सकेगा. ऐसे में किसान का पंजीयन केवल उसी स्थिति में किया गया है, जबकि किसान के भू-अभिलेख के खाते एवं खसरे में दर्ज नाम का मिलान आधार कार्ड में दर्ज नाम से हो. जिन किसानों का नाम भू-अभिलेख और खसरे में दर्ज नहीं है, उनसे सरकारी खरीदी नहीं होगी.

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