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रांची के रिम्स में कुव्यवस्था का आलम: वार्ड ब्वॉय की जगह मरीज के परिजन खुद स्ट्रेचर खींचने को हैं विवश - Mismanagement In RIMS

RIMS Ranchi.रांची के रिम्स में कुव्यवस्था का आलम है. हालत यह है कि वार्ड ब्वॉय और ट्रॉली मैन रहने के बावजूद मरीजों के परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचना पड़ता है. स्ट्रेचर या व्हीलचेयर नहीं मिलने पर मरीज को कंधे में उठाकर ले जाना पड़ता है.

Mismanagement In RIMS
रिम्स में खुद से स्ट्रेचर खींचकर मरीज को ले जाते परिजन. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 9, 2024, 5:37 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में आए दिन लापरवाही देखने को मिलती है. भले ही राज्य सरकार रिम्स को बेहतर बनाने के दावे कर लें, लेकिन सरकार के ये दावे धरातल पर खोखली साबित हो रही है. यह हम नहीं, बल्कि रिम्स के सिस्टम से परेशान मरीज बता रहे हैं.

रिम्स की कुव्यवस्था पर रिपोर्ट और जानकारी देते संवाददाता हितेश कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

रिम्स में ट्रॉली मैन और वार्ड ब्वॉय रहने के बावजूद मरीज के परिजन खुद स्ट्रेचर खींचने को विवश

रिम्स में ट्रॉलीमैन और वार्ड ब्वॉय रहने के बावजूद परिजन खुद मरीज को व्हीलचेयर पर या स्ट्रेचर पर खींचते नजर आते हैं. इस संबंध में मरीज के परिजन ने बताया कि सैकड़ों मरीज पर एक वार्ड ब्वॉय है. ऐसे में व्हीलचेयर भी समय पर नहीं मिल पाता तो वार्ड ब्वॉय की बात ही छोड़ दें.

250 मरीजों पर मात्र तीन वार्ड ब्वॉय, ये कैसी व्यवस्था

अपने मरीज को रिम्स में डॉक्टर को दिखाने के बाद घर ले जा रहे मरीज के परिजन अंकित पांडे बताते हैं कि एक वार्ड या यूनिट में 200 से 250 मरीज भर्ती होते हैं और प्रत्येक वार्ड में सिर्फ दो से तीन वार्ड ब्वॉय रखे गए हैं. ऐसे में प्रत्येक मरीज को वार्ड ब्वॉय मिलना संभव नहीं हो पता है.

व्हीलचेयर और स्ट्रेचर नहीं मिला तो मरीज को कंधे पर उठाकर ले गए परिजन

वहीं अपने मरीज को कंधे पर ले जा रहे एक परिजन ने बताया कि कई घंटे तक वह व्हीलचेयर और स्ट्रेचर का इंतजार करते रहे, लेकिन जब उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला तो मजबूरी में उन्हें अपने कंधे पर मरीज को ले जाना पड़ा.

ओपीडी में वार्ड ब्वॉय की संख्या काफी कम

वार्ड ब्वॉय की संख्या की बात करें तो रिम्स के इमरजेंसी में 28 से 30 वार्ड ब्वॉय हैं, जो तीन शिफ्ट में काम करते हैं. प्रत्येक शिफ्ट में वार्ड ब्वॉय की संख्या 10 होती है. लेकिन ओपीडी और इन-डोर में दिखवाने वाले मरीजों के लिए वार्ड ब्वॉय की संख्या काफी कम है.

ओपीडी में दिखाने वाले कई ऐसे मरीज काफी बुजुर्ग और लाचार होते हैं. उनकी लाचारी इतनी अधिक होती है कि वह मेन गेट से ओपीडी कॉम्प्लेक्स या फिर इंडोर वार्ड से जांच घर तक नहीं चल पाते हैं. ऐसे में उनके लिए व्हीलचेयर या स्ट्रेचर के साथ-साथ वार्ड ब्वॉय की आवश्यकता होती है, लेकिन वार्ड ब्वॉय की घोर कमी की वजह से लोगों को खुद व्हीलचेयर या फिर स्ट्रेचर खींचकर अपने मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़ता है.

जल्द रिम्स में वार्ड ब्वॉय की संख्या बढ़ाई जाएगी- डॉ राजीव

वहीं वार्ड ब्वॉय की कमी को लेकर रिम्स प्रबंधन की तरफ से जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन बताते हैं कि वार्ड ब्वॉय की कमी निश्चित रूप से मरीजों की परेशानी को बढ़ा रही है. प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों ने वार्ड ब्वॉय की संख्या बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं. जल्द ही वार्ड ब्वॉय की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि आने वाले महीने में रिम्स जीबी की बैठक की जाएगी. जिसमें वार्ड ब्वॉय की समस्या को प्रमुखता से उठाया जाएगा.

जल्द नहीं लिया गया कोई फैसला को बढ़ सकती है मरीजों की परेशानी

बता दें कि किसी भी अस्पताल के लिए जितने आवश्यक डॉक्टर होते हैं उतने ही आवश्यक वार्ड ब्वॉय होते हैं. क्योंकि वार्ड ब्वॉय प्रशिक्षित होते हैं और उन्हें पता होता है कि मरीज को किस प्रकार एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है. गंभीर मरीजों को यदि परिजन एक जगह से दूसरे जगह ले जाते हैं तो इससे कहीं न कहीं मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में जरूरत है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में वार्ड ब्वॉय की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि अस्पताल में आने वाले गरीब और मजबूर मरीजों को राहत मिल सके.

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