खूंटीः बालू के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई से जिले में बालू की किल्लत हो गई थी. सरकारी एवं निजी कार्यो पर इसका असर देखने को मिल रहा था. बालू के बगैर जिले में चल रही विकास योजनाएं प्रभावित होने लगी. यही नहीं अबुआ आवास एवं निजी कार्य प्रभावित हो गए. जिला प्रशासन ने बालू के अवैध खनन पर लगाम लगाने में लगभग 70 प्रतिशत सफलता पाई और नए साल से बालू की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. नए साल से जिलेवासियों को सस्ते एवं आसानी से बालू मिल सकेगा, क्या प्लान है और कैसे काम करेगी यह योजना जानिए इस रिपोर्ट में.
जिले में नये साल में बालू की किल्लत को दूर करने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है. खासकर घरेलू उपयोग में आने वाली समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने पांच ऐसे बालू घाट को चिन्हित किया है, जो स्थानीय स्तर पर मुखिया द्वारा संचालित किया जाएगा. मुखिया ही चालान काटेगा और चालान से होने वाली आय को मुखिया अपने फंड में जमा कराएगा. चालान से होने वाले आय को मुखिया बालू घाट के आसपास सड़क व अन्य विकास कार्य में खर्च करेगा.
डीसी लोकेश मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि चिन्हित बालू घाटों में तोरपा व मुरहू में दो-दो तथा कर्रा में एक बालू घाट है. इन बालू घाटों की मॉनिटरिंग जिला खनन पदाधिकारी और क्षेत्र के बीडीओ, सीओ करेंगे. डीसी ने बताया कि लंबे समय से बालू घाटों की नीलामी के बावजूद खनन शुरू नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित हुई हैं, साथ ही स्थानीय लोग घरेलू उपयोग के लिए काफी परेशान थे.
इन सब को देखते हुए स्थानीय स्तर पर पांच ऐसे बालू घाट चिन्हित किए गए हैं, जहां से सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए बालू ले सकते हैं. उन्होंने यह बताया कि कमर्शियल यूज के लिए उक्त घाटों से बालू नहीं दिया जाएगा. कमर्शियल यूज के लिए बालू का इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर घाटों को तत्काल रद्द कर दिए जाएगा, साथ ही मुखिया पर कार्रवाई संभव है.
इन बालू घाटों का संचालन मुखिया करेंगे