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पक्षी प्रेमियों के लिए खुशखबरी; सूर सरोवर पक्षी विहार और जोधपुर झाल वेटलैंड प्रवासी पक्षियों से गुलजार - MIGRATORY BIRDS

एशियन वॉटरबर्ड सेंसस 2025 के मुताबिक, आगरा और मथुरा वेटलैंड पर जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि.

प्रवासी पक्षी
प्रवासी पक्षी (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 15, 2025, 3:35 PM IST

आगरा :उत्तर प्रदेश की रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार और मथुरा की जोधपुर झाल वेटलैंड पर प्रवासी पक्षी खूब कलरव कर रहे हैं. ये प्रवासी पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाई वे से रूस, यूक्रेन, चीन, मंगोलिया, साइबेरिया समेत देशों से भारत आएं हैं.

सूर सरोवर पक्षी विहार और जोधपुर झाल वेटलैंड में प्रवासी पक्षी (Video credit: ETV Bharat)

एशियन वॉटरबर्ड सेंसस 2025 की बात करें तो इस साल आगरा और मथुरा के दोनों वेटलैंड पर जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि हुई है. जिसमें बार-हेडेड गूज, नोर्दन पिनटेल, काॅमन टील, संकटग्रस्त प्रजातियों में सारस क्रेन, काॅमन पोचार्ड, ब्लैक-नेक्ड स्टार्क, ग्रेट कोर्मोरेन्ट, पाइड एवोसेट, नोर्दन शोवलर समेत अन्य पक्षी खूब दिख रहे हैं. सूर सरोवर और जोधपुर झाल वेटलैंड पर सबसे बड़ा पक्षी पेलिकन पहुंच गया है. इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए हर दिन पक्षी प्रेमी पहुंच रहे हैं.

वेटलैंड पर पक्षियों की गणना की गई (Photo credit: ETV Bharat)

एशियन वॉटर बर्ड सेंसस-25 के तहत बीते दिनों आगरा के गांव कीठम स्थित रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार और मथुरा जिला के जोधपुर झाल वेटलैंड पर पक्षियों की गणना की गई. दोनों ही वेटलैंड पर प्रवासी पक्षियों की संख्या अधिक मिली है. जिससे वन विभाग और चंबल सेंचुरी के अधिकारी खुश हैं. रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार में एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2025 की गणना में इस साल 3839 जलीय पक्षी मिले हैं, जो पिछले साल की तुलना में 1509 पक्षी अधिक हैं.

रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार में बढ़े पक्षी
साल प्रजातियां पक्षी की संख्या
2025 62 3839
2024 55 2330

सूर सरोवर में वॉटर लेवल रखा मेंटेन :सूर सरोवर पक्षी विहार के रेंज ऑफिसर अंकित यादव ने बताया कि सूर सरोवर पक्षी विहार में वाटर के लेवल को मेंटेन किया है. जिससे यहां पर आए प्रवासी पक्षियों के लिए अच्छी जगह है. वेटलैंड भी पूरी तरह उभर आए हैं. इसके साथ ही यहां पर आने वाले पक्षियों के लिए भरपूर मात्रा में भोजन है. जिसकी वजह से ही यहां पर प्रवासी और अप्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है.

वेटलैंड जोधपुर झाल पर बढ़े पक्षी
साल प्रजातियां पक्षी की संख्या
2024 62 1335
2023 54 1758
2022 51 1347
2021 47 1179

62 प्रजातियों के पक्षियों की पहचान :बॉयोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी (बीआरडीएस) के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार में 62 प्रजातियों के पक्षियों की पहचान हुई है. जिसमें 36 प्रजाति प्रवासी और 26 स्थानीय प्रजातियों के पक्षी मिले हैं. बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि दो समूहों में 12 पक्षी विशेषज्ञ ने चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के कर्मचारियों के साथ पक्षी गणना की.

इन देशों से आए प्रवासी पक्षी (Photo credit: ETV Bharat)


संकटग्रस्त पक्षियों की 9 प्रजातियां दिखीं : बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार में संकटग्रस्त पक्षियों की 9 प्रजातियां भी नजर आईं. जिनमें डालमेशन पेलिकन, रिवर टर्न, पेंटेड स्टार्क, ब्लैक हेडेड आईबिश, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, रिवर लेपविंग, ओरिएंटल डार्टर व ग्रेटर स्पॉटेड इंगल शामिल हैं. सूर सरोवर में सबसे अधिक संख्या में नोर्दन पिनटेल 1100, बार-हेडेड गूज 1045, ग्रेट कोमोरेंट 878 और पाइड एवोसेट 310, नोर्दन शोवलर 270, लिटिल कोरिन्ट 230 कॉमन टील 155 देखे गए हैं.

गणना के दौरान मौजूद विशेषज्ञ (Photo credit: ETV Bharat)

भारत में मिलती हैं पेलिकन की तीन प्रजाति :बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि भारत में पेलिकन की तीन प्रजातियां मिलती हैं. जो डालमेशन पेलिकन, ग्रेट व्हाइट पेलिकन (रोजी पेलिकन) और स्पाट-बिल्ड पेलिकन प्रजनक है. जिसमें स्पाट-बिल्ड पेलिकन प्रजनक आवासीय प्रजाति है. आगरा, मथुरा और राजस्थान के भरतपुर की बात करें तो यहां पर डालमेशन पेलिकन और ग्रेट-व्हाइट पेलिकन (रोजी पेलिकन) प्रजातियां मिलती हैं. सूर सरोवर पक्षी विहार और भरतपुर के घना में डालमेशन पेलिकन और ग्रेट-व्हाइट पेलिकन (रोजी पेलिकन) प्रजातियां सर्दियों के प्रवास करती हैं.

झील में पक्षियों का जमावड़ा (Photo credit: ETV Bharat)

बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि रोजी पेलिकन पक्षीवर्ग के परिवार पेलेकेनिडे में वर्गीकृत सबसे बड़े आकार का पक्षी है. जिसका वैज्ञानिक नाम पेलेकेनस ओनोक्रोटलस है. रोजी पेलिकन सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे के तहत उत्तर पूर्व यूरेशियन क्षेत्र जार्जिया, अजरबैजान, कजाकिस्तान, यूक्रेन में प्रजनन करती हैं. इस क्षेत्र में प्रजनन करने वाली रोजी पेलिकन की जनसंख्या भारत के तराई क्षेत्र के अलावा तुर्कमेनिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड में सर्दियों के प्रवास पर आती हैं.

पेलिकन पक्षी कर रहा कलरव :डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि की शोध छात्रा निधि यादव ने बताया कि मैं जलीय पक्षियों पर शोध कर रही हूं. इस साल सूर सरोवर पक्षी विहार में प्रवासी पक्षी खूब आए हैं. यहां पर स्वच्छ पानी की झील है. जो पक्षी पेलिकन के लिए अच्छा हेविटाट है. यहां पर पेलिकन के मुख्य भोजन मछलियां हैं, जो यहां पर खूब हैं.

क्या है वाटर बर्ड सेंसस :बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह बताते हैं कि एशियन वाटर बर्ड सेंसस भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मान्यता प्राप्त पक्षी गणना है. इसमें दक्षिण एशियाई देशों व ऑस्ट्रेलिया में वेटलैंड पर निर्भर स्थानीय व प्रवासी जलीय पक्षियों की गणना होती है.

वेटलैंड जोधपुर झाल पर ये प्रवासी पक्षी कर रहे कलरव :बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि वेटलैंड जोधपुर झाल की बात करें तो यहां पर जलीय पक्षियों की गणना में 1335 जलीय पक्षियों की मौजूदगी दर्ज हुई है. गणना में 62 प्रजातियों की पहचान हुई है, जिसमें 29 प्रवासी और 33 स्थानीय प्रजातियां शामिल हैं. जोधपुर झाल पर सबसे ज्यादा संख्या में बार-हेडेड गूज, कामन टील, नार्दन पिनटेल पाई गई हैं.

बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि जोधपुर झाल पर बार हेडेड गूज 370, मार्दन पिनटेल 224, कामन टील 220 के साथ गेडवाल, यूरेशियन विजन, नार्दन शोलावर, पाइड एवोसेट, लिटिल स्टिट, टैमिनिक स्टिंट, सेंड़पाइपर, वेगेटेल आदि पाए गए हैं. इसके साथ ही जोधपुर झाल पर संकट ग्रस्त प्रजातियों में सारस क्रेन, ब्लैक नेक्ड स्टार्क, पेंटेड स्टार्क, ओरिएंटल डार्टर, कॉमन पोचार्ड, बूली-नेक्ड स्टार्क, ब्लैक टेल्ड गोडविट, ग्रेटर स्पाटेड ईगल, ब्लैक हेडेड आईबिश मिले हैं.

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