यमुनानगर: हरियाणा की अनाज मंडियों में धान की खरीद चल रही है. एक तरफ मंडियों के भीतर किसानों की धान को मशीन से साफ किया जा रहा है. जिसमें से निकलने वाले फड़े को कूड़े की तरह मंडी की दीवारों के बाहर फेंका जा रहा है, तो दूसरी तरफ प्रवासी लोग उस फड़े से धान का एक-एक दाना निकालकर अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं. सीजन की शुरुआत होते ही यह प्रवासी बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल इत्यादि राज्यों से हरियाणा पहुंचते हैं.
मजदूरों की मजबूरी: हमारी टीम ने छछरौली में इन लोगों से इनकी पूरी कहानी जानने की कोशिश की. कुछ महिलाएं व बच्चे छाज लेकर फड़े से धान निकाल रहे थे. इस दौरान प्रवासी महिला मजदूर ने बताया कि वह पूरे परिवार के साथ यहां आई है. उसके पति आढ़ती की लेबर में काम कर रहे हैं. उसके तीन बच्चों के साथ वह खुद फड़े से धान निकाल रही है. उसने बताया कि एक दिन में वह और उसके बच्चे पूरी मेहनत कर करीब 30 किलो धान निकाल लेते हैं. जिसे बाद में आढ़ती को बेच देते हैं. और तीनों समय के खाने-पीने का इंतजाम हो जाता है.