बलौदाबाजार :10 जून 2024 वो तारीख जो बलौदाबाजार के इतिहास में काला दिन के तौर पर दर्ज हो चुका है.10जून को जिले कानून व्यवस्था कुछ घंटों के लिए पंगु बन चुकी थी. विशेष धर्म समुदाय के जैतखंब को नुकसान पहुंचाने का मामला इतना उग्र होगा ये किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. जिस देश में कानून के आदेश के बाद मंदिर मस्जिद हट जाते है,उसी देश के एक जिले में चंद उपद्रवियों की शरारत का खामियाजा पूरे सिस्टम को भुगतना पड़ा.जैतखंब को नुकसान पहुंचाने को लेकर समाज पिछले एक महीने से उबल रहा था.आखिरकार ये उबाल लावा बनकर बलौदाबाजार पहुंचा.पल भर में हजारों की भीड़ सुनियोजित तरीके से कलेक्टोरेट और एसपी दफ्तर पर टूट पड़ी.रास्ते में जो कुछ भी मिला,भीड़ ने नेस्तनाबूत कर दिया.कई गाड़ियों को आग लगाकर समाज ने अपना गुस्सा जाहिर किया.वो बात और है कि जिस समाज के ये अनुयायी हैं,उनके धर्म गुरु ने अपना पूरा जीवन अहिंसा का संदेश देते गुजार दिया.आज उन्हीं के अनुयायियों ने हिंसा करके ये साबित कर दिया,कि वो कितने बड़े भक्त हैं.
उत्पात के बीच शांति का पैगाम लाएं पवनपुत्र :जहां एक ओर बलौदाबाजार कलेक्टोरेट में खड़ी गाड़ियां माचिस की तीलियों की जैसे जल रहीं थी.बिल्डिंग आग के हवाले हो गई.सब कुछ राख में बदल गया.लेकिन एक चीज ऐसी थी जो आगजनी में भी सही सलामत रही.इस चीज ने ये बता दिया कि आज भी क्यों इनके लाखों अनुयायी अपना शीश झुकाएं इनके दरबार में इकट्ठा होते हैं. बलौदाबाजार कलेक्टोरेट में खड़ी एक गाड़ी को जब उपद्रवियों ने आग के हवाले किया तोउसमें रखा सब कुछ राख बन गया.लेकिन एक चीज आग के बीच सही सलामत थी. ये चीज थी हनुमान चालीसा.जी हां कागज से बनीं ये हनुमान चालीसा सही सलामत आग के बीच सही सलामत बची रही.जिस किसी ने इस हनुमान चालीसा को देखा वो इसे हनुमानजी की कृपा बता रहा है.
समाज ने नहीं किया उपद्रव :वहीं इस हिंसक घटना के बाद राजनीति भी जोर शोर से जारी है. बिलाईगढ़ विधायक कविता प्राण लहरे ने कहा कि उन्होंने समाज से शांति पूर्ण आदोलन की अपील की थी. प्रशासन को कार्रवाई के साथ सीबीआई जांच का ज्ञापन सौंपा गया था.