लखनऊ /मेरठ : ठंडी हवाओं ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. कड़कड़ाती ठंड में मरीजों के अलावा सामान्य लोगों की सेहत बिगड़ रही है. ऐसे में खास खयाल रखने की जरूरत है. वरना जरा सी चूक से हार्ट अटैक, लकवा, सांस, हृदय रोग और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर मुसीबतों को झेलना पड़ सकता है. ठंड बढ़ने से अस्पतालों की ओपीडी में सामान्य मरीजों का दबाव कुछ कम हुआ है, लेकिन सांस, हृदय रोग और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव चौधरी ने बताया कि दिल के मरीज ठंड में बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. गर्म कपड़े अच्छी तरह से पहनें. धूम्रपान से तौबा करें. इससे हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. मौसमी फलों का सेवन करें. ठंडी हवाएं भी मुसीबत बढ़ा सकती हैं. कड़कड़ाती ठंड में जरा सी चूक से दिल, सांस, ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीजों की जान पर बन आती है. ठंड में खासकर बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं सेहत को प्रति संजीदा रहें.
केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग का कहना है कि सर्दियों में दिमाग को खून पहुंचाने वाली नलिकाओं में सिकुड़न आ सकती है. नसों में प्रेशर बढ़ जाता है. जिससे नस फटने का खतरा होता है. इसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. ट्रामा सेंटर में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. प्रतिदिन स्ट्रोक के सात से 12 मरीज आ रहे हैं.
शुष्क हवा से श्वास नली में हो रही जलन :केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि ठंड में प्रदूषण के कण वातावरण के निचली सतह में रहते हैं जो सांस के जरिए फेफड़े व सांस की नली को संक्रमित कर सकते हैं. ऐसे में निमोनिया, अस्थमा, सीओपीडी व रेस्पीरेटरी अटैक की आशंका भी बढ़ जाती है. ठंडी व शुष्क हवा भी श्वास नलिकाओं में जलन पैदा कर सकती है.
कम उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा लकवा
लकवा (Stroke of Paralysis) गंभीर बीमारी है. मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज (LLRM) में हर दिन बड़ी संख्या में लकवा प्रभावित मरीज पहुंचे रहे हैं. बीते एक महीने में लगभग 400 से 500 नए लकवा के मरीज यहां पहुंच चुके हैं. अगर कुछ सावधानी बरती जाएं तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है.