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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 6 hours ago

Updated : 6 hours ago

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दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के एक सदस्य का चुनाव आज, देर रात एमसीडी कमिश्नर ने जारी किया आदेश - MCD Standing Committee election

Delhi MCD: एमसीडी स्थायी समिति का चुनाव आज होगा. एमसीडी आयुक्त ने गुरुवार देर रात 27 सितंबर को स्थायी समिति सदस्य चुनाव कराने का आदेश जारी किया है. चुनाव एक बजे कराया जाएगा.

दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति सदस्य के चुनाव को लेकर सदन में हंगामा
दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति सदस्य के चुनाव को लेकर सदन में हंगामा (ETV Bharat)

नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव के लिए आज शुक्रवार की तारीख तय हुई है. एमसीडी कमिश्नर ने आदेश जारी किया है. इससे पहले दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने एमसीडी कमिश्नर को स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव के संचालन की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी कहा था कि यदि मेयर उपलब्ध नहीं हैं या बैठक की अध्यक्षता करने से इनकार करती हैं, तो चुनाव के संचालन के लिए डिप्टी मेयर से बैठक की अध्यक्षता करने का अनुरोध किया जा सकता है.

गुरुवार को नहीं हो सका चुनावः दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के एक सदस्य के लिए गुरुवार को होने वाला चुनाव टल गया था. दिल्ली नगर निगम की मेयर डॉक्टर शैली ओबेरॉय की तरफ से चुनाव स्थगित किए जाने के बाद उपराज्यपाल ने गुरुवार रात 10 बजे तक चुनाव कराने का दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर को निर्देश दिया था, लेकिन चुनाव नहीं हो पाया.

इस वजह से करना पड़ा स्थगितः गुरुवार को सदन में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पार्षद मौजूद थे, आम आदमी पार्टी का कोई भी पार्षद नहीं पहुंचा, जिसकी वजह से चुनाव को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि निगम अधिकारियों की तरफ से कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई गई है.

दरअसल, दिल्ली नगर निगम के स्थाई समिति के एक सदस्य का चुनाव के लिए गुरुवार 2 बजे सदन की बैठक बुलाई गई थी. चुनाव के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया गया था. चुनाव के मद्देनजर सदन में मोबाइल की एंट्री पर पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने सदन में मोबाइल ले जाने पर रोक का विरोध शुरू कर दिया, आप पार्षद सदन की गेट पर धरने पर बैठ गए. आप पार्षदों ने मेयर से हस्तक्षेप कर मोबाइल लेकर एंट्री करने की इजाजत देने की मांग की.

इस बात पर हुई तकरारःमेयर ने भी आम आदमी पार्टी के पार्षदों की मांग पर सहमति जताते हुए सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए निगम कमिश्नर को निर्देश दिया कि सभी पार्षदों को मोबाइल के साथ एंट्री दी जाए, लेकिन कमिश्नर ने मेयर के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया. कमिश्नर ने कहा कि गुप्त मतदान के लिए मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो सही भी है. मेयर ने दो बार सदन की कार्यवाही को स्थगित किया और पार्षदों को मोबाइल के साथ एंट्री करने का निर्देश निगम आयुक्त और सचिव को दिया लेकिन उन्होंने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, जिससे नाराज मेयर ने चुनाव कराए बिना सदन की कार्वायही को 5 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया.

चुनाव स्थगित होते ही भड़के भाजपा पार्षदःचुनाव स्थगित होने पर भाजपा पार्षद भड़क उठे और उन्होंने सदन के अंदर और सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. पूर्वी दिल्ली के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा, भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया भी एमसीडी मुख्यालय पहुंचे. देर शाम होते होते वीरेंद्र सचदेवा भी एमडी मुख्यालय पहुंचे. भाजपा की तरफ से आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी ने हार के डर से चुनाव स्थगित कराया है. इस बीच चर्चा शुरू हो गई कि स्थाई समिति का चुनाव 6:30 बजे होगा. भाजपा की तरफ से घर जा चुके पार्षदों को वापस बुलाया गया. आम आदमी पार्टी के खेमे में भी गहमागामी शुरू हो गई.

एलजी के निर्देश के बाद से सहमत नहीं थी AAP:इस बीच तकरीबन 8:30 बजे निगम सचिव कार्यालय की तरफ से बताया गया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से रात 10 बजे तक चुनाव कराने का निर्देश दिया गया है. एलजी ने अपने निर्देश में कहा है कि अगर मेयर उपलब्ध नहीं है तो डिप्टी मेयर से चुनाव कराने का आग्रह किया जाए, अगर डिप्टी मेयर भी उपलब्ध नहीं है तो किसी भी वरिष्ठ पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाए. उपराज्यपाल का निर्देश आते ही आम आदमी पार्टी भड़क उठी.

मनीष सिसोदिया ने की प्रेस कांफ्रेंस
पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपराज्यपाल के निर्देश को साजिश बताया. उन्होंने कहा कि ऐसी क्या आफत आ गई है कि शाम को सदन स्थगित होने के बाद एलजी रात तक किसी भी तरह चुनाव कराने का आदेश दे रहे हैं? हमें पता चला कि ये चिट्ठी काउंसलर्स को भी भेजी जा रही है. पता चला कि कई सारे काउंसलर्स तो बाहर हैं. मुझे कई काउंसलर्स ने फोन करके कहा कि हम इतने कम समय में कैसे पहुंचेंगे? सवा घंटे के अंदर चुनाव संपन्न होना है. कई पार्षद यह सोचकर नोएडा, फरीदाबाद या अन्य जगह निकल गए हैं कि अगली बैठक 5 अक्टूबर को होनी है. लेकिन अचानक उन्हें वापस लौटने को कहा जा रहा है. सवा घंटे में तो चुनाव संपन्न करना है, तो वह 30 से 45 मिनट में कैसे पहुंचेगा?

मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने काफी सोचा कि इसके पीछे भाजपा क्या खेल करना चाहती है. हमें नगर निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद सदन से चले गए, तो भाजपा ने अपने सभी पार्षदों को अपने अध्यक्ष और सांसदों के साथ एमसीडी कमिश्नर के पास बैठा लिया. उन्हें पहले से पता था कि एलजी साहब चिट्ठी लिखेंगे, इसलिए उन्हें कहीं जाना नहीं है. उनके सांसदों और अध्यक्ष को पहले से पता था कि एलजी साहब की चिट्ठी आने वाली है, और रात 10 बजे तक चुनाव के आदेश दिए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि मेयर ने सदन को अगली तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया. इसके बावजूद भाजपा के सारे पार्षद, सांसद, अध्यक्ष समेत सभी पदाधिकारी वहीं बैठे रहे, क्योंकि उन्हें पता था कि सारे पार्षदों के जाने के बाद एलजी साहब फिर आनन-फानन में बैठक बुलाने के लिए कहेंगे. एलजी साहब की चिट्ठी ने सारी सच्चाई सामने लाकर रख दी है.

क्या बोले- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
इस बीच, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चरम पर है. इसका असर हर जगह दिखने लगा है. यह दुखद है कि एमसीडी में आप पार्षद उनके और आप के खिलाफ गुस्से के कारण उनका साथ छोड़ रहे हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एमसीडी की स्थायी समिति में एक सीट के लिए असंवैधानिक रूप से चुनाव को बाधित करने और अपने अधीन करने के लिए आप मेयर शेली ओबेरॉय को भेजा. उन्होंने एमसीडी आयुक्त को धमकाया और आप के गुंडों ने नगर निगम सचिव और अन्य सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट की.

अधिकारियों ने कानूनी तौर पर और सही तरीके से पार्षदों से कहा था कि वे मतदान केंद्र के अंदर फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण न ले जाएं। असुरक्षित केजरीवाल और आप ने पार्षदों से कहा कि वे अपने वोट की तस्वीरें लें और उसे केजरीवाल को भेजें. जाहिर है कि यह एक ऐसा काम था जो गुप्त मतदान के सिद्धांत को पूरी तरह से तोड़ता. उन्होंने सदन की कार्यवाही 5 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी. एमसीडी कमिश्नर ने एलजी से निर्देश मांगे जो संवैधानिक प्रशासक हैं- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें ऐसा ही परिभाषित किया है.

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