अलवर : जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय मत्स्य उत्सव का आयोजन सोमवार सुबह भानगढ़ से शुरू हुआ. इसके बाद दोपहर में सिलीसेढ़ झील की पाल पर लोक कलाकारों की ओर से रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने पर्यटकों को रिझाया. उसके बाद शाम करीब 6:45 बजे अलवर शहर स्थित जगन्नाथ मंदिर पर 51 दीपों से महाआरती का आयोजन किया गया.
इसमें प्रशासनिक अधिकारियों में एडीएम सेकंड योगेश डागुर, नगर निगम आयुक्त जितेंद्र सिंह नरुका और पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक टीना यादव मौजूद रहीं. इसके बाद महल चौक में बेस्ट ऑफ राजस्थान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मत्स्य उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में स्काउट गाइड भी मौजूद रहे.
जगन्नाथ मंदिर में महाआरती के बाद लोक कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुति (ETV BHARAT Alwar) इसे भी पढ़ें -मिट्टी से बनी आकृति से बढ़ी रौनक, लोगों ने एडवेंचर का लिया आनंद
एडीएम सेकंड योगेश डागुर ने बताया कि अलवर के 250वें स्थापना दिवस पर 25 नवंबर से 27 नवंबर तक तीन दिवसीय मत्स्य उत्सव मनाया जा रहा है. इसमें पहले दिन भानगढ़ व सिलीसेढ़ झील पर लोक कलाकारों की ओर से रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दी गई. इसी उपलक्ष्य में शाम के समय अलवर के आराध्य भगवान जगन्नाथ मंदिर में 51 दीपों से महाआरती का आयोजन किया गया.
महाआरती के बाद महल चौक में विभिन्न जगहों से आए लोक कलाकारों ने नृत्य की प्रस्तुति दी. इस दौरान शहरवासियों की ओर से उनका उत्साहवर्धन किया गया. उन्होंने बताया कि इसी क्रम में आने वाले दो दिनों में भी मत्स्य उत्सव में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
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मत्स्य उत्सव के दौरान गुरुग्राम से आई पर्यटक इंदु ने बताया कि वे खास मत्स्य उत्सव के लिए अलवर में आई हैं. सुबह से ही वे मत्स्य उत्सव में शरीक हो रही हैं. यहां आने पर उन्हें काफी आनंद आ रहा है. उन्होंने बताया कि इससे पहले बूंदी फेस्टिवल, उदयपुर व पुष्कर मेला सहित अन्य जगहों पर भी आ चुकी हैं, लेकिन अलवर के मत्स्य उत्सव की बात ही अलग है.
उन्होंने बताया कि वो दो साल से अलवर आ रही हैं, लेकिन पहली बार मत्स्य उत्सव में शामिल हुई हैं. वहीं, गुरुग्राम के ही सीए सुधीर कुमार ने बताया कि इस बार वे खास मत्स्य उत्सव में शामिल होने के लिए अलवर आए हैं. इस से पहले भी वो अलवर स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि मत्स्य उत्सव के बारे में वो काफी सुने थे, तभी से उनके मन में इसमें शामिल होने की इच्छा थी.