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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 4 hours ago

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नवरात्र पर दुर्ग में सज रहा माता का दरबार, मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहा मूर्तिकारों का यह गांव - Durg Thanaud village Maa Durga idol

दुर्ग जिले का थनौद गांव मूर्तिकारों के गांव के नाम से जाना जाता है. यहां इन दिनों मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. यहां बनी मूर्तियों की दूसरे राज्य में भी डिमांड है. इस गांव में मूर्तिकार नवरात्र से पहले माता की मूर्ति को अंतिम रूप दे रहे हैं. Mata Darbar Decorated In Durg

Durg Thanaud village Maa Durga idol
थनौद गांव में मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप (ETV Bharat)

दुर्ग: गणेशोत्सव के बाद अब दुर्ग जिले में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई है. मूर्तिकार अब मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करने में जुटे हुए हैं. 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, जिसे लेकर जिले में भी मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करने में जुटे हुए हैं. यहां हर मूर्तिकार अब मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं. यहां छोटी बड़ी हर साइज की मूर्तियां तैयार की जा रही है. यहां की मूर्तियां दूसरे राज्यों में भी भेजी जाती है.

मूर्तिकारों का गांव थनौद: दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर ग्राम थनौद में छोटे-बड़े 40 पंडाल लगे हैं. इन दिनों इनमें मां दुर्गा की प्रतिमा बनाई जा रही है. करीब पांच सौ से अधिक कलाकार प्रतिमाओं को मूर्त रूप देने में लगे हैं. शिल्पग्राम के नाम से विख्यात थनौद अब कला ही नहीं रोजगार उपलब्ध कराने का एक बड़ा केंद्र भी बन गया है. यहां बनाई गई मूर्तियों की मांग प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्य ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और झारखंड में भी है. थनौद गांव की आबादी करीब 4,000 है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश और नवरात्र पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण करना ही इस गांव के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय बन गया है.

सज रहा माता का दरबार (ETV Bharat)

100 सालों से गांव में तैयार की जा रही प्रतिमा: इस बारे में गांव के मूर्तिकार राधेश्याम चक्रधारी ने बताया कि यहां करीब सौ वर्षों से प्रतिमा तैयार की जा रही है. यहां सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने की शुरुआत की गई. सुभान ने अपने बेटे बृजलाल को मूर्ति बनाना सिखाया. धीरे-धीरे गांव के लोग इस कला से जुड़ते गए. 10 साल पहले यहां प्रतिमा निर्माण का काम सिर्फ छह पंडालों में किया जा रहा था. वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर 40 तक पहुंच गई.

इन दिनों पंडालों में दुर्गा माता की प्रतिमा बनाई जा रही है. यहां 600 छोटी-बड़ी प्रतिमाएं बन रही है. यहां बनाई जा रही प्रतिमाओं की कीमत लोगों की मांग के अनुसार पांच हजार से लेकर एक लाख रुपए तक है. एडवांस बुकिंग के अलावा भी मूर्तिकार कुछ प्रतिमाएं ज्यादा बनाते हैं, ताकि जरुरत पड़ने पर किसी को दी जा सके.-विशाल चौहान, मूर्तिकार, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

हाथ से तैयार की गई प्रतिमा की डिमांड बढ़ी: इन कलाकारों के साथ आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आए युवा कलाकार भी एकजुट होकर मूर्ति बनाने का काम पूरा करते हैं. मूर्तिकारों की मानें तो पिछले कुछ साल में लोगों में अच्छा उत्साह देखने को मिल रहा हैं. हाथ से बनाई गई प्रतिमाओं की मांग ज्यादा होती है.

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