जयपुर: छोटी काशी में इन दिनों बंगाली संस्कृति के रंग बिखरे हुए हैं. जयपुर में बसा बंगाली समाज नवरात्र में बीते 7 दशक से दुर्गा माता का पंडाल सजाता आ रहा है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा बंगाल की मिट्टी से बंगाली कारीगर ही करते हैं. दशहरे पर यहां सिंदूर उत्सव का आयोजन हुआ. जिसमें महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को पान के पत्ते से सिंदूरा अर्पित किया. फिर एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर उत्सव की रस्म निभाई. शाम को विसर्जन जुलूस के साथ दुर्गा पूजा का समापन होगा.
जयपुर दुर्गाबाड़ी एसोसिएशन की ओर से दुर्गा पूजा आयोजन के तहत शनिवार को सिंदूर उत्सव का आयोजन किया गया. इस पारंपरिक अनुष्ठान में विवाहित महिलाओं ने मां दुर्गा को और एक-दूसरे को सिंदूर अर्पित किया. ये सिंदूर सुखी वैवाहिक जीवन और उत्सव की सामूहिक खुशी का प्रतीक है. यह समारोह भक्ति, रंगों और भावनाओं से भरपूर रहा. दुर्गाबाड़ी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुदीप्तो सेन ने बताया कि सिंदूर उत्सव का इतिहास और इसका महत्व बंगाली हिंदू संस्कृति और दुर्गा पूजा की समृद्ध परंपराओं से संबंधित है. ये प्राचीन परंपरा है. जिसका उद्देश्य समाज में महिलाओं की भूमिका को सशक्त और सम्मानित करना है. इसका धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्व है.
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