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अंतिम संस्कार में भी सुकून नहीं, तिरपाल तान करनी पड़ रही अंत्येष्टि - no basic facilities at cremation - NO BASIC FACILITIES AT CREMATION

सरकार विकास के कितने ही दावे करें, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. यहां तक कि कई गांवों में श्मशान घाट तक नहीं बने हुए, या फिर वहां तक जाने का रास्ता नहीं है. वहीं कई गांवों में श्मशान घाट पर छाया की व्यवस्था नहीं है. इससे बारिश के दिनों में अंत्येष्टि करने में काफी परेशानी होती है.

no basic facilities at cremation
तिरपाल तान करनी पड़ रही अंत्येष्टि (Photo ETV Bharat Bundi)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 13, 2024, 2:08 PM IST

बूंदी: जिले के नैनवां क्षेत्र के बंबूली गांव में बरसात के दौरान किसी की मौत हो जाए तो परिजन व ग्रामीणों के लिए परेशानी आ खड़ी होती है. बारिश के मौसम में मौत के गम से ज्यादा ग्रामीणों को मृतक के अंतिम संस्कार करने की चिंता सताने लगती है, क्योंकि मुक्ति धाम में छाया की व्यवस्था नहीं है. टीन शेड की व्यवस्था नहीं होने से खुले में ही अंत्यष्टि करनी पड़ती है. सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है. कई बार अंत्यष्टि स्थल पर तिरपाल लगाकर काम निकालना पड़ता है. यहां यह समस्या लंबे समय से है, जबकि वर्तमान में इन कार्यों के लिए पंचायत के पास पैसा स्वीकृत है.

नैनवां क्षेत्र की रजलावता पंचायत के गांव बंबूली के मुक्ति धाम की हाल खराब ही है. बंबूली गांव की आबादी 2500 से अधिक की है, लेकिन मुक्ति धाम में छाया की कोई व्यवस्था नहीं है. अंत्येष्टि खुले में ही करनी पड़ती है. सबसे ज्यादा परेशानी आती है बारिश के मौसम में. अंत्येष्टि स्थल पर टीन शेड जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में ग्रामीण या तो बारिश रुकने का इंतजार करते हैं या फिर दाह संस्कार के लिए जुगाड़ की व्यवस्था करते हैं. लगातार बारिश के कारण कई बार​ चिता पर पेट्रोल डीजल या काला ऑयल आदि डालना पड़ता है, जबकि कई बार ​पानी से बचाव के लिए तिरपाल तानना पड़ता है.

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कार्यादेश नहीं हुए जारी:मुक्ति धाम में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद सुभाष बहेडिया के कोटे से टीन शेड व प्रतीक्षालय के लिए बजट स्वीकृत है, लेकिन पंचायत प्रशासन की उदासीनता के चलते लंबे समय से काम अटका हुआ है. मुक्तिधाम तक पहुंचाने के लिए सीसी सड़क निर्माण का कार्य भी अधूरा छोड़ रखा है. पंचायत की ग्राम सभा में भी इस समस्या को लेकर कई बार ग्रामीण बता चुके हैं. इसके बावजूद समाधान नहीं हो पाया है. सोमवार को गांव के एक बुजुर्ग की मौत के बाद अंतिम संस्कार में ऐसी ही परेशानी ग्रामीणों को झेलनी पड़ी. बुजुर्ग की मौत के बाद बरसात का दौर चला तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. ऐसे में अंतिम संस्कार में चिता की आग बरसात से ठंडी नहीं हो इसके लिए चार पीपे डीजल, आधी बोरी शक्कर और दो पीपा खराब आयल का जुगाड़ कर चिता की आग को बनाए रखा. तब जाकर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार हो पाया. रजलावता पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी लक्ष्मण सिंह हाड़ा ने बताया कि बारिश रुकने के बाद जल्दी ही टीन शेड व प्रतीक्षालय का निर्माण करवाया जाएगा. संसद कोष का स्वीकृत बजट ग्राम पंचायत के पास पड़ा हुआ है.

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मुक्तिधाम तक जाने का रास्ता नहीं:वहीं कोटा जिले के इटावा क्षेत्र के खेड़ली तवरान पंचायत के निमली गांव में आजादी के 75 वर्ष बाद भी मुक्तिधाम तक जाने की मार्ग नहीं बन पाया. वर्तमान में जो मार्ग अवरूद्ध उसकी बारिश के कारण हालत खराब है. बारिश के दौरान रास्ते में कीचड़ हो गया. गांव में एक व्यक्ति की हृदय गति रूकने से मृत्यु होने के पश्चात जब उसे मुक्तिधाम ले जाया जा रहा था तो बारिश के चलते कच्चे रास्ते के कारण मुक्तिधाम पर लड़कियां पहुंचने में भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा और ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन की मदद लेकर मुक्तिधाम पर लकड़ियां पहुंचाई गई और बमुश्किल से मृतक का अंतिम संस्कार हो सका.

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