सरकार से मिलने वाले मुआवजे के लिए 2 साल से भटक रहा बैगा परिवार, अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला - Manendragarh Chirmiri Bharatpur - MANENDRAGARH CHIRMIRI BHARATPUR
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाला एक बैगा परिवार मुआवजे के लिए भटक रहा है. 2 साल से विभाग का चक्कर लगाने के बाद भी इस बैगा परिवार को सरकार की योजना के तहत मिलने वाला मुआवजा नहीं मिला. परिजनों का आरोप है कि अधिकारी मुआवजे के एवज में रकम मांग रहे हैं. वहीं अधिकारी इस बैंक खाते में समस्या का बहाना बनाकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :बैगा आदिवासी परिवारों को छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं का कितना लाभ मिलता है. इसकी बानगी एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत शेरी में आसानी से देखने को मिल रही है. 2 लाख रुपये मुआवजा राशि का आदेश जारी होने के बाद भी मृतक की पत्नी मुन्नी बाई 2 सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रही है. लेकिन विभाग की निष्क्रियता की वजह से आज भी उसके हाथ खाली है. अब उसके परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है, लेकिन कोई फरियाद सुनने वाला नहीं.
मुआवजा राशि के लिए भटक रहा बैगा परिवार : यह बैगा आदिवासी परिवार जिले के भरतपुर विकासखंड अंतर्गत शेरी गांव का निवासी है. तेन्दूपत्ता एकत्रित कर उसे बेच कर यह बैगा परिवार अपना घर चलाता है. परिवार के मुखिया शिवप्रसाद की मौत के बाद सरकार की ओर से 2 लाख का मुआवजा परिवार के लिए जारी किया गया, जो राशि आज तक मृतक की पत्नि को नहीं मिला है. ऐसा नहीं है कि तेंदूपत्ता वनोपज समिति को इसकी जानकारी नहीं है. सब कुछ जानने के बाद भी आश्रितों को लाभ नहीं मिलना विभाग की निष्क्रिय कार्यप्रणाली को दर्शाता है.
"पीड़ित महिला के बार प्रबंधक के पास कई बार गई. मेरे से चलते नहीं बनता. मेरे से दस हजार मांग रहा है. मैं परेशान हो गई हूं. इतने दिन से कहता है, आज खाते में डलेगा, कल डालेगा. मेरे को घूम रहा है. जब से कागज आया है, तब से मैं प्रबंधक के पास जा रही हूं, उसके घर जा रही हूं. लेकिन मेरा 2 लाख बीमा का आया ही नहीं है. गरीब हूं, इनको देने के लिये कहां से पैसा रुपया लाऊंगी." - मुन्नी बाई, पीड़ित महिला
प्रबंधक ने मामले से झाड़ा पल्ला : इस संबंध में जब प्रबंधक बालकरण भी छोटे खाते में अधिक पैसा जमा नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ते दिखे. उन्होंने बताया, "एक बार पैसा आया था, लेकिन खाता छोटा होने के कारण वापस चला गया. फिर बड़ा खाता करके फिर भेजे हैं. छोटा खाता मतलब पचास हजार से ऊपर खाता नहीं ले रहा था, फिर बड़ा करके भेजे है. दो साल हो गया है."
2022 में आदेश जारी, लेकिन पैसे नहीं मिले : शिवप्रसाद पिता बाल्मीक जनकपुर के शेरी ग्राम पंचायत में तेंदूपत्ता संग्राहक का काम करता था. 31 दिसंबर 2021 को उसकी अचानक मौत हो गई. मृत्यु के बाद समिति में नॉमिनी सदस्य उनकी पत्नी मुन्नी ने तेंदूपत्ता संग्राहय सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अनुदान राशि प्राप्त करने के लिये आवेदन फार्म दिया. जिसके बाद यूनियन स्तरीय तेंदूपत्ता सामाजिक सुरक्षा योजना अंतर्गत पात्रता निर्धारण समिति ने प्रकरण क्रमांक 61 साल 2022 के रूप में दर्ज किया. मृतक की आयु 18 से 50 साल के बीच होने की वजह से मृतक की पत्नि को अनुदान सहायता के रूप में 2 लाख रुपये देने का आदेश जारी किया गया.