मंडला।महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की 8वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए रज़ा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी अशोक वाजपेयी ने कहा "रज़ा साहब विश्व स्तर के कलाकार थे. जिन्होंने अपना बचपन मंडला में बिताया. यहां की नर्मदा को वे कभी भूले नहीं. उनकी बहुत बड़ी इच्छा थी कि अगर मेरा इंतकाल भारत में हो तो मुझे नर्मदा जी के पास अपने पिता की कब्र के बगल में दफनाया जाए. 8 साल पहले आज के दिन उनका इंतकाल हुआ था. हम उनको दिल्ली से यहां लाए थे. उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया था."
रजा साहब को यादकर भावुक हुए अशोक वाजपेयी
अशोक वाजपेयी ने कहा "देश का कला जगत और अंतरराष्ट्रीय कला जगत भी एक महान कलाकार के रूप में रजा साहब को याद करता है. हम में से बहुत लोग हैं जिनको यह सौभाग्य था उनकी मित्रता का, उनके सानिध्य का, उनके प्रेरणा और आशीर्वाद का. साल में दो बार हम आयोजन करते हैं जो चित्रकला, संगीत, लोक कला इत्यादि से संबंधित हैं. इससे यहां के युवा, छात्र, कलाकार, नागरिकों को यह याद रहने लगे कि वह जिस शहर में रहते हैं, उस शहर से महान कलाकार आया था."
रजा साहब के कर्ज को कभी नहीं उतार सकते
रज़ा स्मृति में शामिल हुए चिराग शर्मा ने कहा "रज़ा साहब का जो योगदान है, कल की दुनिया में, उसके कर्ज को तो हम उतार नहीं सकते. उन्होंने जो हम पर और दुनिया पर, जो एहसान किया है. लेकिन उन्हें याद कर हम अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करने का एहसास कर सुखद अनुभूति होती है. मैं अपना सौभाग्य समझता हूं कि उस पुण्य भूमि में मुझे आने का मौका मिला है, जहां रज़ा साहब जैसा कलाकार पैदा हुआ. जिस जमीन ने ऐसे कलाकार दिए दुनिया को, उस मिट्टी की खुशबू लेने का सौभाग्य मुझे मिला, मैं खुश किस्मत हूं."
प्रसिद्ध कबीर गायक भैरू सिंह चौहान भी पहुंचे
रज़ा स्मृति में अपनी प्रस्तिति देने पहुंचे प्रसिद्ध कबीर गायक भैरू सिंह चौहान ने रज़ा साहब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा "रज़ा साहब एक महान कलाकार थे. हम रज़ा फाउंडेशन के ओर से से हम बार-बार मंडला आते हैं. कबीर वाणी द्वारा रज़ा साहब का संदेश देते हैं कि "हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सब इंसानों की एक ही माई, इन सबको मालूम नहीं है झूठी करते लड़ाई". रज़ा साहब बहुत ही सहज और सरल थे, अनुभवी थे, देश के जाने माने कलाकार थे. उनका समरसता, समानता और प्रेम का बहुत अच्छा भाव होगा. इसलिए हम लोग सब मिलकर उनकी याद में, उनकी स्मृति में, सब कवि, गायक, सभी लोग आते हैं."