रायपुर\मंगलूरु:साल 2008 में छत्तीसगढ़ के रहने वाले शिव कुमार अपने परिवार के साथ काम करने के लिए दिल्ली गए थे. इस दौरान शिव कुमार की मां बिल्डिंग से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गईं. दुर्घटना के बाद उनके परिवार ने छत्तीसगढ़ लौटने का फैसला किया और दिल्ली रेलवे स्टेशन से छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हुए. लेकिन इस दौरान शिव कुमार अपने परिवार से बिछड़ गए. इसके बाद परिवार दिल्ली लौटा और उनकी तलाश की, लेकिन उनका पता नहीं चला.
दिल्ली से लापता युवक कर्नाटक पहुंचा: साल 2010 में, एक स्थानीय व्यक्ति ने मंगलूरु के एसपी कार्यालय से व्हाइट डव्स को फोन करके एक लापता व्यक्ति के होने की सूचना दी. बाद में व्हाइट डव्स संगठन की संस्थापक कोरिन रुस्किना ने मानसिक रूप से बीमार शिव कुमार को अपनी संस्था में आश्रय दिया. उस समय शिव कुमार गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित थे, ठीक से बात भी नहीं कर पाते थे.
14 साल बाद परिवार से मिला छत्तीसगढ़ का व्यक्ति (ETV Bharat Chhattisgarh)
व्हाइट डव्स संगठन ने की शिव कुमार की देखभाल:संस्था की निरंतर देखभाल और दवा से शिव कुमार की मानसिक सेहत में सुधार हुआ. लगभग 14 साल बाद शिव कुमार को अपने परिवार की याद आई और उसने अपने चाचा के बारे में जानकारी दी. उस जानकारी के आधार पर परिवार को ढूंढ़ा गया. शिव कुमार के बारे में जानकारी मिलने पर परिवार छत्तीसगढ़ से मंगलूरू पहुंचा. इस दौरान शिवकुमार को यह जानकर बहुत दुख हुआ कि उनकी मां, जो उन्हें देखने के लिए इंतजार कर रही थीं, दो साल पहले ही चल बसीं.
मंगलुरु के एनजीओ व्हाइट डव्स संगठन में मिला लापता युवक (ETV Bharat Chhattisgarh)
व्हाइट डव्स संगठन का 450वां मिलन: व्हाइट डव्स की संस्थापक कोरिन रस्किना ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि शिवकुमार 2010 में बस स्टैंड पर मिले थे. उन्हें अपने पिछले जीवन के बारे में कुछ भी याद नहीं था. हाल ही में उन्होंने हमें अपने परिवार का विवरण दिया, जिससे हम उनसे संपर्क कर पाए. संस्था ने शिवकुमार को अपने परिवार में शामिल किया और उनकी देखभाल की.
इस संस्था के जरिए अब तक 450 बिछड़े लोग अपने परिवार से मिल चुके हैं. दुख की बात यह है कि जिस मां को अपने बेटे को देखने की लालसा थी, वह दो साल पहले ही चल बसीं.: कोरिन रस्किना, संस्थापक, व्हाइट डव्स
शिवकुमार का रिश्तेदार हूं. उससे मिलने आया हूं. 2008 में लापता हो गया था.हमारा परिवार 14 साल से उसकी तलाश कर रहा था.आज उसे देखकर हमें खुशी हुई. हालांकि, हमारा परिवार इस बात से दुखी है कि शिवकुमार की मां इस खुशी के पल को महसूस किए बिना ही इस दुनिया से चली गईं.:दुमन सिंह भारद्वाज, शिवकुमार का रिश्तेदार
व्हाइट डव्स संगठन की शुरुआत 1992 में मंगलुरु के मरोली में हुई थी. यह संगठन जरूरतमंदों और मानसिक रूप से बीमार लोगों की सेवा के लिए काम कर रहा है. यहां अब क 450 जरूरतमंद और मानसिक रूप से बीमार लोगों का इलाज किया जा चुका है. वर्तमान में व्हाइट डव्स संगठन में 197 जरूरतमंद लोग हैं.