वाराणसी :आमदनी बढ़ाकर तरक्की के रास्ते पर चलने के लिए किसान लगातार नए प्रयोग कर रहे हैं. गेहूं, चावल, सब्जी उगाने के साथ वह नई फसलों पर भी जोर दे रहे हैं. इसके लिए सरकार से भी उन्हें सहयोग मिल रहा है. इसकी वजह से कश्मीर और हिमाचल में होने वाली फसलें अब यूपी के खेतों में भी लहलहाने लगीं हैं. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जल्द ही पूरे पूर्वांचल को बड़ी सौगात मिलने वाली है. यहां से पहली बार यूपी सरकार मखाने की खेती को प्रमोट करने जा रही है. इस मामले में यूपी अब सीधे बिहार को टक्कर देगा. इसके तहत पूर्वांचल के किसानों को बिहार में प्रशिक्षण दिया जाएगा.
यूपी के कई जिलों में मखाने की खेती की शुरुआत पहले ही हो चुकी है, लेकिन पूर्वांचल में इसका विस्तार नहीं हो पाया था. इस खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग पूर्वांचल के किसानों को पहली बार तैयार करने जा रहा है. पूरे भारत में मखाने की खेती का लगभग 80% हिस्सा तैयार करने वाले बिहार के दरभंगा जिले में यूपी के 25 किसानों को विशेष ट्रेनिंग के लिए भेजने की तैयारी है. यानी यूपी के कुछ शहरों में ही होने वाली मखाने की खेती को अब पूर्वांचल में विस्तारित किया जाएगा.
दरभंगा में सबसे ज्यादा होती है मखाने की खेती :जिला उद्यान विभाग के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक ज्योति कुमार सिंह ने बताया कि बिहार का दरभंगा और उससे सटे कुछ जिले मखाने की खेती के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. भारत में सबसे ज्यादा मखाने की खेती होती है. इसकी लगभग 80% खेती अकेले बिहार के दरभंगा में की जाती है. यहां के ट्रेंड किसान और तालाबों की मौजूदगी इस खेती के लिए सबसे उपयोगी साबित होती है. अभी प्रोफेशनली तरीके से यूपी के किसी भी जिले में मखाने की खेती नहीं होती है. देवरिया, हरदोई के कुछ किसान मखाने की खेती के लिए प्रयास कर चुके हैं. यूपी में करीब 5 से 7 प्रतिशत ही अभी मखाने की पैदावार हो रही है.
अब किसानों के पास होंगे दो विकल्प :उत्तर प्रदेश में भी बीते कुछ सालों में तालाबों में मछली पालन करने वाले किसानों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. मत्स्य पालन की तरफ अग्रसर हो रहे किसानों के सामने एक बड़ा संकट यह रहता है कि मानसून के दौरान जनवरी-फरवरी तक तालाबों के भरने के पश्चात किसान बेहतर काम कर पाते हैं, लेकिन गर्मी आने पर इनके सूखने की वजह से स्थिति बिगड़ने लगती है और गर्मी में किसानों का फायदा नुकसान में बदल जाता है, लेकिन अब किसानों के सामने एक साथ दो विकल्प हैं. वे मछली पालन के साथ मखाने की खेती भी कर सकते हैं.
सरकार प्रति हेक्टेयर इतना देगी अनुदान :ज्योति कुमार सिंह ने बताया कि यूपी के कुछ जिलों में मखाने की खेती अपने स्तर पर किसानों ने शुरू की थी, लेकिन सरकारी सहयोग का प्रावधान उस समय नहीं था. पहली बार यूपी में सरकार की तरफ से 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान राशि देने का फैसला किया गया है. किसानों को यह बताया जा रहा है कि मखाने की खेती का कितना बड़ा फायदा है. बिहार के अलावा असम, मेघालय और ओडिशा राज्यों में भी मखाने की खेती होती है, लेकिन बिहार इनमें नंबर वन है.
पूर्वांचल के किसान ट्रेनिंग के लिए जाएंगे दरभंगा :ज्योति कुमार सिंह का कहना है कि इसके लिए एक हेक्टेयर या उससे ज्यादा तालाब की जरूरत होगी. कोई भी किसान जो मखाने की खेती करना चाहता है, वह अपने संबंधित जिले के उद्यान विभाग से संपर्क कर सकता है. इसके अलावा सिंघाड़े की खेती पर भी हम जोर दे रहे हैं. यह पहला मौका है जब सरकार मखाने की खेती को प्रमोट करने जा रही है. अभी तक मखाने की खेती बिहार के दरभंगा जिले में सबसे ज्यादा होता चला आ रहा है. यहां के किसान कई सालों से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. यही वजह है कि हमने पूर्वांचल के 25 किसानों को तैयार किया है. इनके चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. सिंतबर में उन्हें दरभंगा में विशेष ट्रेनिंग के लिए भेजा जा सकता है. ट्रेनिंग का पूरा खर्च उद्यान विभाग उठाएगा.