छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर, इलेक्शन में ये मुद्दे हावी - Major issues of Chhattisgarh
issues of Chhattisgarh in Lok Sabha elections छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला है. बीजेपी साल 2023 के विधानसभा चुनावों में मिली जीत से गदगद होकर सभी 11 सीटों को जीतने का दावा कर रही है. तो कांग्रेस परिवर्तन की बात कह रही है. Lok Sabha elections 2024
रायपुर: लोकसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान का दौर शुरू हो चुका है. बीजेपी ने राज्य की सभी 11 सीटों पर कांग्रेस को पटखनी देने की तैयारी का दावा किया है तो कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव में वह वापसी करेगी. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को होंगे. जबकि नतीजे चार जून आएंगे.
मोदी की गांरटी पूरा करने का बीजेपी कर रही दावा: बीजेपी मोदी की गारंटी पूरा करने का दावा कर रही है. बीजेपी का कहना है कि नई सरकार के गठन के बाद से प्रदेश में मोदी की गांरटी पूरी की गई है. जिसके दम पर बीजेपी को जीत मिलेगी. मोदी फैक्टर के नाम पर पार्टी छत्तीसगढ़ में अच्छा प्रदर्शन करेगी.
कांग्रेस को मंहगाई और अन्य मुद्दों का सहारा: कांग्रेस को महंगाई समेत अन्य मुद्दों का सहारा है. कांग्रेस का कहना है कि किसानों की दयनीय स्थिति, मंहगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर उसे जनता का सहयोग मिलेगा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए परिवर्तन का सपना पूरा हो सकता है.
सभी सीटों पर बीजेपी ने की उम्मीदवारों की घोषणा: बीजेपी उम्मीदवारों की घोषणा करने के मामले में आगे है. उसने राज्य की सभी 11 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 6 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है. पांच सीटों पर अभी उम्मीदवारों का ऐलान करना बाकी है. भाजपा ने राज्य की सभी 11 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें चार मौजूदा सांसदों का टिकट काटा है. इस लिस्ट में एक मौजूदा राज्य मंत्री को शामिल किया गया है. इस लिस्ट में एक पूर्व सांसद और एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं. बीजेपी ने तीन महिलाओं को टिकट दिया है. महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी, कोरबा से सरोज पांडे और जांजगीर चांपा से कमलेश जांगड़े शामिल हैं. जबकि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की 6 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दो पूर्व राज्य मंत्रियों और एक मौजूदा सांसद को मौका दिया गया है.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस की इन मुद्दों पर होगी टक्कर
भ्रष्टाचार: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी रहा था. इसमें कोल स्कैम, महादेव सट्टा घोटाला, शराब घोटाला, डीएमएफ में गड़बड़ी, पीएससी स्कैम और चावल कस्टम मिलिंग स्कैम शामिल है. बीजेपी अब फिर से इन सब मुद्दों को कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है. साय सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के जरिए कोयला परिवहन, शराब व्यापार, जिला खनिज फाउंडेशन, चावल की कस्टम मिलिंग और राज्य जनता द्वारा भर्तियों में कथित घोटालों पर एफआईआर दर्ज की है.पीएससी घोटाले की सीबीआई जांच की भी घोषणा की है. अब इन सब मुद्दे पर बीजेपी चुनाव में घमासान छेड़ सकती है.
कल्याणकारी योजनाओं का बीजेपी कर सकती है जिक्र: राज्य सरकार दावा कर रही है कि उसने केवल दो महीनों में कई मोदी की गारंटी को पूरा करने का काम किया है. 12 लाख से अधिक किसानों को बोनस का वितरण किया. महिलाओं को महतारी वंदन योजना की राशि आवंटित की है. कृषक उन्नति योजना के जरिए किसानों से किया वादा पूरा किया है.
राम मंदिर का मुद्दा : भाजपा राम मंदिर और रामलला दर्शन योजना के तहत भी जनता के बीच जा सकती है.
बुनियादी ढांचा: राज्य चुनावों से पहले तत्कालीन विपक्षी दल के रूप में, भाजपा ने आरोप लगाया था कि 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद राज्य में बुनियादी ढांचागत विकास रुक गया था. उसने दावा किया कि केंद्र और राज्य में केवल डबल इंजन वाली भाजपा सरकार ही छत्तीसगढ़ के विकास को बढ़ावा दे सकती है.
महंगाई और नौकरियां: राज्य में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस बीजेपी पर निशाना साध रही है. बीजेपी पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है.
हसदेव में पेड़ों की कटाई का मुद्दा: कांग्रेस बीजेपी को राज्य में हसदेव के अंदर पेड़ों की कटाई पर घेर सकती है. कांग्रेस का कहना है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से आदिवासियों को नुकसान होगा.
वामपंथी उग्रवाद: राज्य में पिछले साल संदिग्ध नक्सलियों ने कम से कम 8 बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है. भाजपा ने इन हत्याओं को लक्षित हत्याएं करार दिया है, इसके कुछ नेताओं ने कांग्रेस और निचले स्तर के नक्सलियों के बीच सांठगांठ का दावा किया है. कांग्रेस अब बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी हो रही हत्याओं पर साय सरकार को घेर रही है.