रांची: महालया के साथ दुर्गोत्सव की शुरुआत हो गई है. इस मौके पर पारंपरिक रूप से राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया गया. करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कलाकारों ने नृत्य नाटिका के साथ मां दुर्गा के प्रादुर्भाव, शिव का सती वियोग, महिषासुर को वरदान, मां काली का विकराल रूप और अंत में महिषासुर मर्दन को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया. जिसे दर्शक बड़े ही कौतुहल भरी नजरों से देखते रहे.
करीब 60 कलाकारों की टीम के द्वारा प्रस्तुत की गई इस नृत्य नाटिका में मां दुर्गा का किरदार प्रतिष्ठा पाल ने निभाया. वहीं महिषासुर की भूमिका में रिंकू कुमार थे. करीब 15 वर्षों से महिषासुरमर्दिनी का मंचन कर रही रूपा डे ने बताया कि इस बार अन्य वर्षों से अलग तरह का मंचन करने की कोशिश की गई, जो टेलीविजन शो की तरह है. मंचन के दौरान शुरुआत में कुछ तकनीकी बाधा देखी गई जिसे तुरंत दुरुस्त कर लिया गया.
आखिर क्यों मनाया जाता है महालया
महालया, पितृपक्ष और मातृपक्ष यानी देवी पक्ष के मिलन को कहा जाता है जो आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है. इस दिन न केवल पूर्वजों को तर्पण के जरिए श्रद्धांजलि दी जाती है, बल्कि इसे सत्य, साहस के विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दरअसल, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैंस दानव, भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर को अजेयता का वरदान दिया था. जिसका अर्थ है कि कोई भी मनुष्य या भगवान उसे मार नहीं सकता है लेकिन, महिषासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग किया और ब्रह्मांड में तबाही मचानी शुरू कर दी.