उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

शिल्पकारी का ऐसा शौक जिसे बनाया रोजगार, बेजान मूर्तियों में डालते हैं जान

महिमा नंद तिवारी अपनी शिल्पकारी से बेजान मूर्तियों में जान डाल रहे हैं. जिससे वो अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं.

Sculptor Mahima Nand Tiwari
महिमा नंद तिवारी द्वारा बनाई गई बेहतरीन मूर्तियां (Photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

उत्तरकाशी: मूर्तिकला के क्षेत्र में बगैर प्रशिक्षण और डिग्री के पहचान बनाने वाले पौंटी गांव के मूर्तिकार महिमा नंद तिवारी 65 वर्ष की उम्र में भी मूर्तियां बनाकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. उनके द्वारा बनाई गई देवी देवताओं की मूर्तियां की मार्केट में खासी मांग है.

साल 2014 में पौंटी गांव के प्रधान रहे 65 वर्षीय महिमा नंद तिवारी इंटर पास हैं. मूर्ति बनाने का उन्होंने न तो कहीं कोई प्रशिक्षण लिया और ना ही कोई डिग्री, बल्कि शौक और खेल खेल में मूर्ति कला सीख कर अपनी प्रतिभा को निखारा है. ढाई दशक से भी ज्यादा समय से मूर्तिकला के क्षेत्र में कार्य कर रहे मूर्तिकार महिमा नंद तिवारी डिमांड पर अलग अलग गांव में शिव, पार्वती, कृष्ण भगवान, दुर्गा, सरस्वती, हनुमान, नाग देवता, नन्दी बैल की करीब डेढ़ सौ से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं.

मूर्तिया बना कर वह सालाना चार से पांच लाख रुपये कमा लेते हैं. उन्होंने 1995 में पहली बार डिमांड मिलने पर ढाली गांव में शेर की सवारी करती दुर्गा की मूर्ति बनाई थी, तब उन्हें डेढ़ सप्ताह में चार हजार रुपये की कमाई हुई थी. जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. मूर्तिकला के लिए उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है. साल 2021 में जिला उद्योग केंद्र द्वारा आयोजित जनपद स्तरीय हथकरघा हस्तशिल्प एवं लघु उधम पुरस्कार प्रतियोगिता में भी प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया.

महिमा नंद तिवारी ने बताया कि मुझे बचपन से ही मूर्तिकला का शौक रहा है. बताया कि उन्होंने खेल खेल में इस कला को सीख कर इसे अपना व्यवसाय बनाया है. वर्तमान में मूर्तियां बनाकर साल भर में पांच लाख तक कमा लेते हैं. बताया कि डिमांड पर अलग अलग गांव में विभिन्न देवी देवताओं की डेढ़ सौ से अधिक मूर्तियां बना चुका हूं.
पढ़ें-कदली वृक्ष से बनाई गई मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियां, खुद धारण करती हैं स्वरूप

ABOUT THE AUTHOR

...view details