शिमला: हिमाचल में आज शिवरात्रि के महापर्व की प्रदेशभर में धूम है. भक्तों द्वारा भोलेनाथ की भक्ति में पूजा अर्चना की जा रही है. महाशिवरात्रि पर्व पर आज राजधानी शिमला के शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी रही. श्रद्धालुओं ने सुबह से ही देवालयों में जा कर लंबी कतारों में लगकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की. शहर के सभी शिव मंदिर महादेव के उद्घोष से गूंज उठे. हर आयु वर्ग के लोग मंदिर पहुंचे और भगवान शंकर का अभिषेक किया.
कैसे करें शिवरात्रि व्रत की पूजा?
पंडित प्रयागराज ने बताया कि शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत का पालन करने से भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं. ब्रह्मा, विष्णु और माता पार्वती के पूछने पर भगवान सदाशिव ने बताया कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है. मोक्ष प्रदान करने वाले चार संकल्पों का पालन करना चाहिए. शिवपुरी में मोक्ष के चार अनन्त मार्ग बताए गए हैं. इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है.
ये चार संकल्प हैं-
- भगवान शिव की पूजा
- रुद्रों का जाप
- शिव मंदिर में उपवास
- काशी में देहत्याग
शिमला में शिवलिंग का अभिषेक
फाल्गुन मास की शिवरात्रि विशेष
पंडित प्रयागराज ने बताया कि शिवरात्रि का व्रत सभी के लिए धर्म का सबसे अच्छा साधन है. इस महान व्रत को सभी मनुष्यों, वर्णों, स्त्रियों, बच्चों और देवताओं के लिए बिना पाप के परम उपकारी माना गया है. हर महीने के शिवरात्रि व्रत में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को होने वाले महाशिवरात्रि व्रत का शिव पुराण में विशेष महत्व है. फाल्गुन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकी इस दिन ही भगवान शिव का माता पार्वती संग विवाह हुआ था.
400 साल पुराना शिव मंदिर
शिमला के मिडिल बाजार में स्थित शिव मंदिर में भी आज सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है. महाशिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव के दर्शनों और शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव ने बताया कि ये सदियों पुराना ऐतिहासिक शिव मंदिर है. कहा जाता है कि यह मंदिर 400 साल पुराना है. ब्रिटिश शासन काल में शिमला अंग्रेजों की राजधानी थी और ये शिव मंदिर मालरोड के पास स्थित है, इस कारण से अंग्रेज भी यहां आकर पूजा अर्चना करते थे.
मंदिर के बाहर लगा भक्तों का तांता स्वयंभू हैं इस मंदिर में भगवान शिव
पुजारी वासुदेव ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि मंदिर में जो शिवलिंग विराजमान है, वह स्वयंभू हैं यानि की जमीन से खुद प्रकट हुए थे. मंदिर में हर साल शिवरात्रि पर 4 पहर विशेष पूजा अर्चना होती है. महाशिवरात्रि के विशेष पर्व पर मंदिर को पूरी तरह से सजाया जाता है. पहले सुबह मंदिर में पूजा होती है, उसके बाद इसके कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं.
1842 में हुआ मंदिर का निर्माण
शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण मदन गिरी नामक एक श्रद्धालु ने साल 1842 में करवाया था. उससे पहले यह शिवलिंग खुले आसमान के नीचे था. उसके बाद समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है और अब ये एक भव्य मंदिर बन गया है. पुजारी वासुदेव ने बताया कि यहां मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन और श्रद्धा से मंदिर में पूजा अर्चना करता है, भगवान शिव उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. हर साल शिवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. वहीं, मंदिर में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम रहते हैं. पुलिस द्वारा राजधानी के सभी मंदिरों में पहरा दिया जाता है, ताकि किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना न घटित हो.
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