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हटकेश्वरनाथ धाम में महाशिवरात्रि पर लगी भक्तों की भीड़, भगवान भोलेनाथ की निकाली जाएगी बारात

हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. महाशिवरात्रि पर्व के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.

Mahadev Ghat Raipur
महादेव घाट रायपुर का हटकेश्वरनाथ धाम

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 8, 2024, 3:43 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खारुन नदी तट स्थित महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव विराजित हैं. इसलिए यह प्रचीन शिव मंदिर हटकेश्वरनाथ धाम के नाम से प्रसिध्द है. महाशिवरात्रि के अवसर पर आज सुबह से ही यहां महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी हुई है. भगवान भोलेनाथ के दर्शन पाने के लिए लोग घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतेजार कर रहे हैं. श्रद्धालुओं में भगवान भोलेनाथ के दर्शन को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है.

रायपुर के महादेव घाट पहुंच रहे श्रद्धालु:महाशिवरात्रि के मौके पर हटकेश्वर महादेव जी के दर्शन करने श्रद्धालु भारी संख्या में रायपुर के महादेव घाट पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान श्रद्धालुओं ने बताया कि लोग व्रत, उपवास और घर की पूजा के साथ सुबह से ही मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे हैं. श्रद्धालु यहां घंटो लाइन में लगकर भगवान के दर्शन करने के लिए इंतेजार कर रहे हैं.

भगवान भोलेनाथ को चढ़ाने वाले सभी पूजन सामग्री भी लेकर आये हैं. दूध, दही, पंचामृत, फूल और जल से भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं. भगवान से यही प्रार्थना है कि घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे. - श्रद्धालु

आज रात भर किया जाएगा महाभिषेक: हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया, "आज भगवान भोलेनाथ की माता पार्वती से शादी भी कराई जाएगी. आज बड़े धूमधाम के साथ भगवान भोलेनाथ की बारात निकाली जाएगी. जिसके बाद माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह कार्यक्रम होगा. बारात वापस पहुंचने के बाद माता पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह कार्यक्रम संपन्न होगा. आज रात महाआरती के बाद भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कार्यक्रम होगा, जो 9 मार्च की सुबह 4:00 बजे तक चलेगा."

हटकेश्वरनाथ धाम का इतिहास: इस मंदिर का निर्माण 1428 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. बताया जाता है कि रायपुरा के पास उनके घोड़े को चोट लगी और घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास-फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुआ था. राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना किया कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण 6 महीने में कराएंगे. मनोकामना पूरी होने के बाद राजा ब्रह्मदेव ने आखिरकार इस मंदिर का निर्माण कराया. तब से लेकर आज तक कार्तिक पूर्णिमा महाशिवरात्रि और सावन के महीने में महादेव घाट पर मेला लगता है. शिवभक्त बड़े धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि पर्व मनाते हैं.

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