औरैया/महराजगंज/रायबरेली/फर्रुखाबाद : आज सावन का पहला सोमवार है. जनपद के बीहड़ में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर देवकली में पूरे प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ की आराधना को पहुंचते हैं. लोगों का मानना है कि यहां जो भी श्रद्धा के साथ मन्नत मांगते हैं, भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.
यूं तो सावन में सभी शिव देवालयों में पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है, लेकिन यूपी के औरैया जिले में यमुना नदी के किनारे बीहड़ घाटी में स्थित महाकालेश्वर यानी की देवकली मंदिर का कुछ अलग ही नजारा है. यह मंदिर औरैया और इसके आस-पास के जिलों में इसलिए चर्चा का विषय रहा है कि इस मंदिर पर पहले कई नामी-इनामी डाकू घंटा चढ़ाकर बाबा भोले नाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा अर्चना कर चुके हैं. दस्यु के समय में कोई भी आम नागरिक वहां जाने की सोच भी नहीं सकता था, उस समय इस मंदिर और बीहड़ में सिर्फ और सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन आज सावन के पहले सोमवार को औरैया जनपद में सिर्फ हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. मंदिर का प्राचीनतम इतिहास भी इसे विशेष बनाता है. लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष इस शिवलिंग का अपने आप एक जौ के दाने के बराबर बढ़ना भी इसकी एक खूबी है.
एक जमाने में गूंजती थी गोलियों की तड़तड़ाहट :यूपी का औरैया जनपद जोकि बीहड़ांचल के नाम से भी जाना जाता है. यह जनपद बीहड़ घाटी के साथ ही कुछ दशक पूर्व यहां के दस्यु की वजह से भी जाना जाता है. यहां पर यमुना नदी के किनारे बाबा महाकालेश्वर यानि की देवकली मंदिर स्थित है, जो यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है. एक समय ऐसा भी था जब इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन को आम लोग तरसते थे, क्योकि यहां सिर्फ और सिर्फ दस्यु का ही बोलबाला था. मंदिर में जयकारों की जगह सिर्फ गोलियों कि तड़तड़ाहट की गूंज ही सुनाई देती थी, लेकिन समय बदलने के साथ ही दस्यु के खत्म हो जाने पर अब इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है.
कन्नौज के राजा जयचंद ने कराया था मंदिर का निर्माण :बताया जाता है किकन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी बहन देवकला के नाम से इस मंदिर का निर्माण कराया था. यह विश्व का एक मात्र शिव मंदिर जो किसी स्त्री के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर के शिवलिंग की लम्बाई लगभग 3 या साढ़े 3 फुट की होगी और चौड़ाई तो आज तक कोई भी नाप नहीं सका है. सावन में आसपास के जनपदों जैसे जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, इटावा, आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद तक से भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आती है.
मंदिर कमेटी के सदस्य गौरव मिश्रा ने बताया कि देवकली मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. वहीं, मंदिर में सावन में प्रदेश भर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.
कई थानों के फोर्स तैनात :सावन में देवकली मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. औरैया एसपी चारू निगम के निर्देशन में जनपद के कई थानों की फोर्स सुरक्षा के लिए मंदिर में तैनात है. वहीं, कुछ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सादी वर्दी में लगाई गई है.
महराजगंज में इटहिया धाम शिव मंदिर से भी जुड़ी है रोचक कहानी :भारत नेपाल सीमा से सटे मिनी बाबा धाम से मशहूर नेपाल बॉर्डर पर स्थित इटहिया धाम शिव मंदिर पर पूरे सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. पड़ोसी राज्य बिहार और पूर्वांचल से हजारों भक्त यहां कांवड़ लेकर पहुंचते हैं. मंदिर के व्यवस्थापक मुन्ना गिरी का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर की स्थापना की गई थी. यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से करीब 300 पुलिस कर्मी तैनात हैं. सावन में यहां मेला लगता है. मंदिर की स्थापना लगभग 1968 में हुई थी.