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मध्यप्रदेश में जल स्रोतों को संवारने के लिए चलेगा 'जल हठ' अभियान, क्या है सरकार की पूरी प्लानिंग

Jal Hath Campaign MP : मध्यप्रदेश में तालाब और जल स्रोतों को अतिक्रमण और गंदगी से मुक्त कराया जाएगा. राज्य सरकार ने इसके लिए जल हठ अभियान शुरू करने का फैसला किया है. पुराने तालाबों और जल स्रोतों का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा.

Jal Hath Campaign MP
मध्यप्रदेश जल स्रोतों को संवारने के लिए चलेगा 'जल हठ' अभियान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 1:47 PM IST

इंदौर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के प्रत्येक ग्राम में "हर घर जल" पहुंचाने के लिए वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन शुरू किया गया. इस मिशन की पूर्ण सफलता के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में "जल-हठ" अभियान जन आंदोलन के रूप में चलाया जाएगा. जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि इस अभियान में सरकार और समाज की भागीदारी से हर गांव, हर नगर में पुराने तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों का उन्नयन, विकास, सौंदरीकरण, गहरीकरण कराया जाएगा. जल स्रोतों के आसपास किए गए अतिक्रमण को हटाकर पौधरोपण किया जाएगा.

मंत्री सिलावट ने मांगा प्रहलाद पटेल से सहयोग

जल संसाधन मंत्री सिलावट ने इस संबंध में विभागीय प्रस्ताव बनाकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से अनुरोध किया कि प्रत्येक ग्राम में "जल-हठ" अभियान को जन आंदोलन के रूप में चलाया जाए. मंत्री पटेल ने आश्वस्त किया है कि हर ग्राम पंचायत में जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल संवर्धन को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा. अभियान के अंतर्गत जल स्रोतों के अतिक्रमणों को प्राथमिकता से हटाया जाएगा. प्रदेश के तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों में अतिक्रमण से उनका कैचमेंट एरिया समाप्त होता जा रहा है, जिससे जल स्रोतों में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है. सिंचाई एवं पीने का पानी कम हो रहा है.

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विभिन्न संगठनों के साथ अभियान चलाएगी सरकार

"जल-हठ" अभियान के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में प्राकृतिक जल स्रोतों, तालाबों के पुनर्जीवन कार्य के लिए उन्हें चिह्नित कर विभागीय योजना बनाई जाएगी और समाज के विभिन्न वर्गों एवं स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से इसे जन आंदोलन के रूप में चलाया जाएगा. अभियान में सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों, खेल संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, संत-महंतों तथा बुद्धिजीवी वर्ग का भी पूरा सहयोग लिया जाएगा. बता दें कि मध्य प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन की समृद्धशाली परंपरा रही है. प्रदेश की चंदेल एवं गोंडकालीन जल संरक्षण प्रणाली न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध रही.

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