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प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के साथ दादा-दादी और नाना-नानी को भी पढ़ाओ, मोहन यादव सरकार का नया फरमान - MP Private Schools Teach Elders

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 8:35 PM IST

मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों के लिए मोहन यादव सरकार का नया फरमान जारी हुआ है. इस फरमान के तहत अब आरटीई के तहत प्रवेश देने वाले प्राइवेट स्कूलों को एक गांव, वार्ड या मोहल्ला गोद लेना पड़ेगा और उसे साक्षर बनाने की जिम्मेदारी लेनी होगी. राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र जारी कर दिया है.

MP PRIVATE SCHOOLS TEACH ELDERS
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के साथ बुजुर्गों को पढ़ाने का फरमान (ETV Bharat)

भोपाल। मध्य प्रदेश के प्राइवेट स्कूल में अब स्कूली बच्चों के साथ उनके दादा-दादी, नाना-नानी और अन्य परिजन भी पढ़ाई कर सकेंगे. इसको लेकर राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा है. दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश की साक्षरता दर बढ़ाने के लिए 15 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे, युवा और बुजुर्गों को नवसाक्षर करने के लिए उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. इसमें अब आरटीई के तहत प्रवेश देने वाले प्राइवेट स्कूलों की जिम्मेदारी भी तय की गई है.

प्राइवेट स्कूल आसपास के गांव या मोहल्ले को लेंगे गोद

राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूलों को अपने आसपास के कोई एक गांव, वार्ड या मोहल्ले को पूर्णतः साक्षर बनाने के लिए गोद लेना होगा. यहां निजी स्कूल कार्य योजना बनाकर काम करेंगे. इसके लिए प्रत्येक निजी स्कूल में एक शिक्षक को नोडल बनाया जाएगा. जिसे साक्षरता कार्यक्रम के प्रस्तुतीकरण के साथ पारदर्शी संचालन के लिए बनाए गए NILP-MP एप एवं rskmp.in पोर्टल के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके बाद नोडल शिक्षक अपने स्कूल के शिक्षकों और 6वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करेगा.

आसपास के असाक्षर लोगों का जुटाना होगा डाटा

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार असाक्षरों का सर्वे ऑफलाइन एवं NILP-MP एप के माध्यम से ऑनलाइन मोड में किया जाएगा. जिसमें सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूल कार्ययोजना बनाकर असाक्षरों का सर्वे करने के साथ कक्षाओं का संचालन करेंगे. गोद लिए गए क्षेत्र के असाक्षर लोगों के लिए स्कूलों में सामाजिक चेतना केंद्र का नियमित संचालन किया जाएगा. उल्लास-अक्षर पोथी प्रवेशिका के माध्यम से पठन पाठन कराते हुए उस स्थान को पूर्णतः साक्षर बनाया जाएगा.

प्रचार-प्रसार के लिए साक्षरता रथ कार्यक्रम का होगा आयोजन

इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए सार्वजनिक स्थानों पर नारे और फ्लेक्स लगवाए जाएंगे. स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ग्राम पंचायत और विकासखंड स्तर पर साक्षरता रथ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. स्कूल और सामाजिक स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. वहीं स्कूल-कालेजों में साक्षरता के विषयों पर गीत और प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा.

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सामाजिक और धार्मिक संगठनों से भी ली जाएगी मदद

सरकार प्रदेश के एक करोड़ से अधिक असाक्षर लोगों को नव साक्षर बनाने के लिए निजी व सरकारी स्कूलों के साथ सामाजिक व धार्मिक संगठनों की मदद भी लेगी. यह कार्यक्रम पूर्णरुप से स्वयं सेवा पर आधारित होगा. इसके अंतर्गत असाक्षर व्यक्ति के सर्वे, चिन्हांकन, पठन-पाठन, मूल्यांकन और व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए छात्र-छात्राओं और स्वयंसेवियों से भी सहयोग लिया जाएगा. इन सभी स्वयंसेवको को अक्षर साथी नाम दिया गया है.

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