लखनऊ : आयुष चिकित्सा पद्धति पर लोगों का विश्वास अडिग है. आयुष में होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी यह तीन विधा आती है. एलोपैथ दवाओं का जहां एक तरफ दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ता है. वहीं इन तीनों विधा की दवाओं का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है और एक लंबे समय तक इसका इलाज चलता है. इसके बाद गंभीर बीमारी भी जड़ से समाप्त हो जाती है. यह तथ्य राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज में मौजूद मरीजों से बातचीत के बाद सामने आए.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एक मरीज ने कहा कि एलोपैथ से बहुत अच्छी होती है आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी, क्योंकि इनकी दवाओं का दुष्प्रभाव न के बराबर होता है. यहां का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा. थोड़ा अगर साफ-सफाई पर और ध्यान दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता. यहां पर इलाज बहुत अच्छा होता है. विशेषज्ञ बहुत अच्छे हैं, बस थोड़ी हाइजीन और मेंटेन होनी चाहिए. इस बार मैं अपनी मां को दिखाने के लिए आया हूं. त्वचा से संबंधित उन्हें दिक्कत है. काफी आराम मिला है.
आजमगढ़ से पहुंचीं रीता सिंह ने बताया कि मेरा खुद का अनुभव यहां का बहुत अच्छा रहा है. यहां पर इलाज बहुत अच्छा होता है. विशेषज्ञ बहुत ही प्यार से बात करते हैं. एलोपैथ की दवाओं का नुकसान बहुत होता है और यहां पर बहुत ही आराम से दिखा देते हैं. कोई दिक्कत भी नहीं होती है. पर्चा बनवाकर ओपीडी में विशेषज्ञ से दिखाते हैं. इस समय बच्चों को छोटे-छोटे दाने शरीर में हो रहे हैं. जिसकी वजह से पेडियाट्रिक विभाग में दिखाने के लिए आए है. मेरा खुद का अनुभव है कि यहां पर बहुत अच्छा है.
लखनऊ से पहुंचे गोपाल मणि त्रिपाठी ने बताया कि पिछले कुछ समय से होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज से ही इलाज चल रहा है. मंगलवार को दो नंबर ओपीडी में दिखाने के लिए तो विशेषज्ञ नहीं मिले. जिसके कारण पांच नंबर ओपीडी में दिखाना पड़ा. विशेषज्ञ ने देखा और दवाई लिखी है. चर्म रोग की समस्या है. एलोपैथ में काफी इलाज कराया, लेकिन ठीक नहीं हुई. जिसके कारण अब होम्योपैथिक इलाज चल रहा है. यहां के दबाव से आराम मिलता है.