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नाग नागिन का जोड़ा, पत्थर एक और गुंबद आधा, देवबलोदा शिव मंदिर में उमड़ी भीड़़ - SHIVA TEMPLE WITH PAIR OF SNAKES

कल्चुरी कालीन देवबलोदा शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर भक्तों का तांता लगा.

SHIVA TEMPLE WITH PAIR OF SNAKES
नाग नागिन के जोड़े वाला शिव मंदिर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 26, 2025, 7:00 PM IST

दुर्ग भिलाई: चरोदा नगर निगम क्षेत्र के देवबलोदा स्थित कल्चुरी कालीन शिव मंदिर में पूजन और जलाभिषेक करने भक्तों की भीड़़ उमड़ी. सुबह से इस मंदिर में शिव भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. शिवभक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने बैरिकेड लगाया. महिला और पुरुष के लिए अलग अलग लाइन बनाई गई.

कलचुरी कालीन मंदिर: देवबलोदा गांव में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी युग में 12वीं-13वीं शताब्दी में हुआ है. इस मंदिर के चारों तरफ अद्भुत कारीगिरी की गई है. मंदिर के चारों तरफ देवी देवताओं के प्रतिबिंब बनाए गए हैं. एक और खास बात यह है कि पूरा मंदिर एक ही पत्थर से बना हुआ है और इसका गुम्बद आधा है.

देवबलोदा का शिव मंदिर (ETV BHARAT)

महाशिवरात्रि में विशाल मेला: हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहां विशाल मेला भी लगता है. इस मेले को देवबलोदा का मेला भी कहा जाता है. महादेव संगठन सदस्य डेक्लेश वर्मा ने बताया कि ''मंदिर के कारण हमारे गांव में प्रतिवर्ष शिवरात्रि में बहुत भव्य मेला होता है. हमारे संगठन के द्वारा कार्यक्रम किया जाता है.''

छत्तीसगढ़ का प्राचीन शिव मंदिर (ETV BHARAT)

भक्तों का तांता: हर साल शिवरात्रि पर देवबलोदा शिव मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. भक्तों का कहना है कि भोलेबाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.

काफी सालों से पूजा करने आता हूं. बहुत पुराना मंदिर है. यहां मनोकामना पूरी होती है-श्रद्धालु

मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी मानता रखते हैं, वह 6 महीने में पूरी हो जाती है-श्रद्धालु

हर साल यहां बहुत भीड़ रहती है. लोगों की गहरी आस्था है. सबकी मनोकामना पूरी होती है. हम यहां हर साल आते हैं-श्रद्धालु

देवबलोदा शिव मंदिर की कहानी: स्थानीय बताते हैं कि मंदिर का निर्माण एक ही कारीगर ने किया था. वह कारीगर हर रात मंदिर का निर्माण करने से पहले पास के कुंड में नहाता था. उसके बाद वह बिना वस्त्र के ही इस मंदिर के निर्माण में जुट जाता था. कारीगर की पत्नी भी उसके काम में सहयोग करती थी. जब उसका पति मंदिर निर्माण में काम करता था तो रोज पत्नी उसके लिए खाना बना कर लाती थी.

मंदिर से जुड़ी भाई बहन की कहानी: एक दिन जब कारीगर अपने काम में जुटा था, तब उसने देखा कि उसकी पत्नी की जगह उसकी बहन खाना लेकर आ रही है. कारीगर नग्न अवस्था में था. उसने लज्जा की वजह से मंदिर प्रांगण में बने कुंड में छलांग लगा दी. उसके बाद से आज तक वो व्यक्ति कहां गया, पता नहीं चला पाया. बताया जाता है कि भाई को कुंड में छलांग लगाते बहन ने देखा लिया, जिसके बाद बहन ने भी मंदिर के बगल में तालाब में छलांग लग दी. जिसके बाद इस तालाब को करसा तालाब के नाम से जाना जाता है.

देवबलोदा शिव मंदिर में शिवरात्रि (ETV BHARAT)

मंदिर में आधा गुंबद: व्यक्ति के कुंड में छलांग लगाने के बाद से इस मंदिर का गुम्बद आधा ही है. यह प्राचीन मंदिरों में एकलौता ऐसा मंदिर है, जिसकी गुम्बद आधी बनी हुई है.

कभी नहीं सूखता मंदिर के कुंड का पानी: मंदिर प्रांगण के अंदर एक कुंड बना हुआ है. बताया जाता है कि इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और पानी कहां से आता है इसका स्रोत भी किसी को नहीं पता. मान्यता है कि कुंड के अंदर एक सुरंग है, जो छत्तीसगढ़ के आरंग के पास निकलती है.

मंदिर के कुंड के बारे में जानिए: कुंड के अंदर कई सालों से बहुत बड़ी बड़ी मछलियां, कछुआ देखे जा सकते हैं. बताया जाता है कि कुंड के अंदर एक ऐसी मछली है जो सोने की नथनी पहने हुई है और कई सालों में कभीकभार ही दिखाई पड़ती है.

मंदिर में नाग नागिन का जोड़ा: बताया जाता है कि मंदिर परिसर में नाग नागिन का जोड़ा भी है, जो कई सालों में दिखाई पड़ता है. स्थानीय बताते हैं कि कई बार लोगों ने नाग नागिन के जोड़े को भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग में लिपटे हुए भी देखा है. लोगों का मानना है कि आज भी नाग नागिन का जोड़ा इस मंदिर में घूमता है. अब तक नाग नागिन के जोड़े से कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

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