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आजादी के 70 सालों बाद भी सड़क के लिए तरसता गांव, गांववालों ने दिया नारा- रोड नहीं तो वोट नहीं

No Road No vote: लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही सियासी दलों ने वादों-दावों के पिटारे खोल दिए हैं. कोई रोजगार देने का दावा कर रहा है तो कोई विकास की गंगा बहाने का दावा कर रहा है, लेकिन पटना जिले में ही एक ऐसा गांव है जो आजादी के 70 सालों बाद भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहा है. ऐसे में इस बार गांववालों ने भी अल्टीमेटम दे दिया है, रोड नहीं तो वोट नहीं, पढ़िये पूरी खबर,

रोड नहीं तो वोट नहीं
रोड नहीं तो वोट नहीं

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 17, 2024, 1:58 PM IST

पटनाःहर बार की तरह इस बार भी चुनाव आते ही लोगों को लुभाने के लिए सियासी दलों ने बढ़-चढ़कर वादे करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन पटना जिले का एक गांव उनके वादे पर हर बार मारा जाता है, तभी तो आजादी के 70 सालों बाद भी गांव के लोग एक सड़क के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में गांव के लोगों ने भी तय कर लिया है कि वो इस बार तो झांसे में नहीं आएंगे. नतीजा गांववालों ने साफ कह दिया है कि रोड नहीं तो वोट नहीं.

आजादी के 70 साल बाद भी नहीं है सड़कःपटना जिले के धनरूआ प्रखंड के खड़ीहा गांव के लोगों का कहना है कि "आजादी से अब तक गांव में सड़क नहीं बनी है. सड़क बनाने को लेकर हमलोग नेता,विधायक,मंत्री से गुहार लगाते लगाते थक गए हैं लेकिन किसी ने भी इस गांव की सुध नहीं ली. जिसके कारण ये गांव आज भी सड़क के लिए तरस रहा है."

" कहने के लिए तो खड़ीहा गांव में आने जाने के लिए दो सड़के हैं. पहला खड़ीहा से मधुबन पथ और दूसरा खडीहा से दुभारा पथ, लेकिन आज तक ये दोनों सड़कें नहीं बनी हैं. सिर्फ एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गांव से बाहर निकलना होता है.लेकिन आज तक सड़क नहीं बनने के कारण 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है."अजय शर्मा, स्थानीय

"रोड नहीं तो वोट नहीं": गांववालों का कहना है कि "बरसात के दिनों में तो हालात बहुत ही खराब हो जाते हैं. गांव का दूसरे इलाकों से करबी-करीब संपर्क खत्म ही हो जाता है. यहां तक कि गांव के छात्र कोचिंग करने भी नहीं जा पाते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर खासा असर पड़ता है. इसलिए इस बार हमलोगों ने फैसला कर लिया है कि जबतक गांव में सड़क नहीं बन जाती है हमलोग वोट नहीं करेंगे."

क्या पूरी होगी मांग ?: लोकतंत्र में वोट का अधिकार एक ऐसा अधिकार है, जिसके दम पर जनता जब चाहे किसी को सत्ता के सिंहासन पर बैठा दे तो किसी को सिंहासन से उतरने को मजबूर कर दे. जनप्रतिनिधि भी इस बात को बखूबी समझते हैं, लेकिन उन्हें जनता की याद तब आती है जब उन्हें लोगों के वोट की जरूरत होती है. लेकिन इस बार खड़ीहा के लोगों ने जता दिया है कि वादे बहुत हुए, धरातल पर काम नहीं हुआ तो नहीं मिलेगा वोट.

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