पटना: बिहार के 40 लोकसभा सीट के लिए राजनीतिक दल जोर आजमाइश कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है और महागठबंधन की ओर से भी उम्मीदवारों का ऐलान किया जा रहा है. बिहार के सियासत में राजनीति के नए रंग देखने को मिल रहे हैं. परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए राजनेताओं ने बीच का रास्ता निकाला है.
बिहार की राजनीति में नया ट्रेंड: बिहार की सियासत में परिवारवाद एक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और इंडिया गठबंधन परिवारवाद को लेकर एक दूसरे को कटघरे में खड़े कर रहे हैं. परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए बिहार में राजनेताओं ने अकोमोडेशन पॉलिटिक्स की शुरुआत की है. राजनेता किसी दल में रहते हैं लेकिन अपने परिजन को दूसरे दल से टिकट दिलवा देते हैं और ऐसा करने में वह कामयाब भी हो रहे हैं.
"बिहार की सियासत में यह नई परिपाटी की शुरुआत है. परिवारवाद से बचने के लिए छोटे दलों को राजनेता लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके उदाहरण अखिलेश सिंह अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी हैं, जो अपने परिजनों को चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं. निश्चित तौर पर इस परिपाटी से कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव आएगा."-डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
नेताओं के बच्चों को राजनीति में लॉन्च:बिहार सरकार के दो मंत्रियों ने अपने बच्चों को राजनीति में लॉन्च किया है और दोनों पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं. बिहार सरकार के मंत्री और जदयू नेता अशोक चौधरी ने अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है. शांभवी चौधरी का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा है. शांभवी चौधरी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास की टिकट पर समस्तीपुर से उम्मीदवार हैं. अपनी पुत्री के लिए अशोक चौधरी ने चुनाव प्रचार अभियान की कमान भी संभाल रखी है.
सन्नी हजारी और शांभवी चौधरी के बीच होगा मुकाबला!: एक अन्य मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. सन्नी हजारी को समस्तीपुर लोकसभा सीट से टिकट मिला है. मिल रही जानकारी के मुताबिक सन्नी हजारी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर समस्तीपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार होंगे. महेश्वर हजारी लंबे समय से लालू प्रसाद यादव के संपर्क में थे और लालू प्रसाद यादव की बदौलत ही उनके पुत्र को समस्तीपुर लोकसभा से टिकट मिलना मुमकिन हो सका है.