राजसमंद. लोकसभा चुनाव के भी रंग न्यारे हैं, मतदाताओं को लुभाने के लिए नेताओं को तरह-तरह की जुगत लगानी पर रही है. ऐसा नजारा राजसमंद लोकसभा में भी सामने आ रहा है जहां प्रत्याशियों के द्वारा वोटरों को रिझाने के लिए अलग-अलग पापड़ बेलने पड़ रहे हैं.
भाजपा प्रत्याशी महिमा सिंह मेवाड़ जहां राजघराने से होते हुए भी आदिवासी समुदाय के यहां खाना खाती दिखाई दे रही हैं तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी दामोदर गुर्जर सामाजिक कार्यक्रम के जीमण में लोगों को खाने की मनुहार करते दिखाई दे रहे हैं. प्रत्याशी कभी चाय की दुकान पर चाय बनाते नजर आते हैं तो वहीं कभी किसानों के साथ दरांती से गेहूं काटते नजर आ रहे हैं.
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आदिवासी समुदाय के एक युवक ने कहा कि विधानसभा चुनावों में समाज को खुश करने के लिए आत्मीयत के साथ आदिवासी के यहां खाना खाया था, पर आगे भी यही दौर जारी रहेगा इसकी कोई गारंटी नही है, यह सब चुनावी ढकोसले हैं. इसी प्रकार एक युवक ने कहा की ये दोनों ही प्रत्याशी बाहरी है ऐसे में अभी तो खूब सामाजिक कार्यक्रमों में आ रहे है और लोगों को खाना खिला रहे है पर जीत के बाद सब हवा हवाई हो जाते है, फिर ना समाज दिखाई देता है ना ही सामाजिक जाजम. चाय की दुकान करने वाले सोहन काका ने कहा कि एक कप चाय बनाकर कोई चाय वाला नहीं हो जाता. चाय वाला बनने के लिए मेहनत करनी पड़ती है ओर बर्तन साफ करने पड़ते हैं, जीतकर हम जैसे लोगों के लिए कुछ करें तो है.
लोकसभा चुनाव 2024 के महासमर में नेताओं के अजब-गजब रंग सामने आ रहे है. विभिन्न रूपों से जनता किस कदर प्रभावित होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, क्योंकि जनता जनार्दन भी अब सब समझने लगी है, जनता का कहना है कि यह सब चुनावी रंग हैं, ये केवल पांच साल में एक बार ही दिखाई देते हैं, किसी को भी जनता से कोई सरोकार नहीं है. बता दें कि कांग्रेस से प्रत्याशी दामोदर गुर्जर जहां रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं तो वहीं भाजपा प्रत्याशी महिमा सिंह देश के प्रसिद्ध मेवाड़ राजघराने की बहू हैं, उनके पति राजसमंद के ही नाथद्वारा क्षेत्र से विधायक भी है.