पटनाः1962 के लोकसभा चुनाव में एक नारा इतना मशहूर हुआ कि कोर्ट तक पहुंच गया. दरअसल उस चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बीएन मंडल ने सहरसा लोकसभा से कांग्रेस के कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्रा को हराया था. चुनाव परिणाम को कोर्ट में चुनौती इस आधार पर दी गई कि बीएन मंडल ने अपने एक पोस्टर में जातिवादी नारा “रोम है पोप का, मधेपुरा है गोप का” का इस्तेमाल किया था. 1962 का ये नारा आज भी मधेपुरा की सच्चाई है.
पार्टी कोई भी, सांसद यादव जाति का हीःमधेपुरा लोकसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि सांसद चाहे किसी भी पार्टी का बने, लेकिन वह होगा यादव जाति से ही. 1967 में लोकसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आए मधेपुरा में 2019 तक ये तथ्य कायम रहा है और हर बार यहां से यादव जाति के उम्मीदवार ने ही बाजी मारी है.1967 में बीपी मंडल ने जीत हासिल कर मधेपुरा के पहले सांसद होने का गौरव प्राप्त किया.
कौन-कौन रहा मधेपुरा का सांसदःमधेपुरा लोकसभा सीट पर अब तक हुए सांसदों की बात करें तो 1967 और 1968 में यहां से बीपी मंडल ने जीत दर्ज की. वहीं 1971 में कांग्रेस के चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव ने इस सीट पर कब्जा जमाया, हालांकि 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर बीपी मंडल ने एक बार फिर जीत दर्ज कर मधेपुरा सीट पर कब्जा किया. जबकि 1980 में कांग्रेस के चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव और फिर 1984 में कांग्रेस के महावीर प्रसाद यादव सांसद बने.
1984 के बाद नहीं मिली कांग्रेस को जीतः बात 1989 की करें तो इस सीट पर जनता दल के रमेंद्र कुमार रवि ने कब्जा किया जबकि 1991 और 1996 में जनता दल के टिकट पर शरद यादव चुने गये. वहीं 1998 में आरजेडी के लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से जीत दर्ज की. हालांकि 1999 में फिर शरद यादव ने जेडीयू के टिकट पर बाजी मारी. 2004 में आरजेडी के टिकट पर लालू यादव और 2004 के उपचुनाव में आरजेडी के टिकट पर ही पप्पू यादव जीते.
पिछले तीन चुनाव परिणामों पर नजरःमधेपुरा लोकसभा सीट पर हुए पिछले तीन चुनावों की बात करें तो 2009 में जेडीयू के शरद यादव ने आरजेडी के रवींद्र चरण यादव को हराकर जीत दर्ज की लेकिन 2014 में आरजेडी के टिकट पर पप्पू यादव ने बाजी मारी और जेडीयू के शरद यादव को मात देने में सफल रहे. 2019 में भी हार शरद यादव की हुई लेकिन इस बार शरद यादव आरजेडी के टिकट पर लड़े जिन्हें जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव ने शिकस्त दी.
मधेपुरा का जातीय समीकरणःमधेपुरा के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां MY यानी मुस्लिम यादव समीकरण काम करता है. यहां करीब साढ़े 3 लाख यादव, 2 लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख ब्राह्मण, सवा लाख राजपूत मतदाता हैं. इसके अलावा दलित समुदाय के भी सवा दो लाख वोटर्स हैं. जबकि कोइरी-कुर्मी डेढ़ लाख और धानुक करीब 50 हजार हैं.
2024 में किसका पलड़ा भारी ?: 2024 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मधेपुरा पर सियासी पंडितों की खास नजर है. जेडीयू ने मौजूदा सांसद दिनेश चंद्र यादव को फिर से मैदान में उतारा है. वहीं आरजेडी ने इस बार कुमार चंद्रदीप को अपना उम्मीदवार बनाया है. कुमार चंद्रदीप मधेपुरा के पूर्व सांसद स्व. रमेंद्र कुमार यादव रवि के पुत्र हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से MY समीकरण का पलड़ा भारी है लेकिन जेडीयू सांसद खुद यादव जाति से हैं. ऐसे में कड़े मुकाबले की उम्मीद है.