कुरुक्षेत्र: लोकसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता सकता है. लिहाजा राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर कमर कस ली है. आम आदमी पार्टी ने तो इंडिया गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर उम्मीदवार के नाम भी घोषणा भी कर दी है. आप पार्टी ने सुशील गुप्ता को कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस की उम्मीदवारों को लेकर माथापच्ची जारी है.
पहले कैथल थी लोकसभा सीट: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का इतिहास काफी पुराना है. पहले कुरुक्षेत्र तत्कालीन कैथल लोकसभा सीट में आता था. साल 1997 में कुरुक्षेत्र को लोकसभा सीट के रूप में नई पहचान मिली. इसके बाद कैथल को खारिज कर कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट बना दी गई. इस सीट से चुने गए दो सांसद कार्यवाहक प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं.
1977 में बनी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट: जानकारी के अनुसार तत्कालीन कैथल लोकसभा सीट पर दूसरी से पांचवीं लोकसभा तक के चुनाव हुए. 1952 के लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र जिला करनाल संसदीय क्षेत्र का हिस्सा होता था. 1965, 67 और 1971 के लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र, कैथल और अंबाला लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. 1973 में कुरुक्षेत्र जिले का गठन किया गया. उसके बाद 1977 में पहली बार यहां आम चुनाव हुए.
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट की से जुड़ी खास बात ये है कि इस सीट से कांग्रेस सांसद गुलजारीलाल नंदा 1967 से 1977 तक दो बार सांसद रहे. इस कार्यकाल में वो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद 13-13 दिन तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने. उस समय ये कैथल लोकसभा सीट हुआ करती थी. कुरुक्षेत्र में गुलजारीलाल नंदा का अहम योगदान रहा है. बताया जाता है कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन गुलजारीलाल नंदा ने किया था.
इस सीट से चुने गए सांसदों की लिस्ट: कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई. जिसके बाद जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े रघुवीर सिंह 1977 से लेकर 1980 तक यहां के सांसद रहे. दूसरी बार जनता पार्टी से मनोहर लाल सैनी 1980 से लेकर 1984 तक सांसद रहे. 1984 में कांग्रेस पार्टी से सरदार हरपाल सिंह यहां से सांसद चुने गए, जो 1989 तक सांसद रहे. इसके बाद फिर गुरदयाल सिंह सैनी जनता दल पार्टी से 1989 से लेकर 1991 तक सांसद रहे. इसके बाद कांग्रेस पार्टी से तारा सिंह 1991 से लेकर 1996 तक सांसद रहे.