फतेहपुर:जनपद में पिता को मारने वाले पुत्र व पौत्र को कोर्ट ने अर्थदण्ड के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. बता दें, कि नगर मुख्यालय के आइटीआइ रोड जीजीआइसी के सामने वर्ष 2018 में एक व्यक्ति की गला काटकर हत्या कर दी गई थी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर तीन के पीठासीन अधिकारी हरिप्रकाश गुप्त ने इस मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए दोषी रविशंकर उर्फ बब्बी मिश्रा व उसके पुत्र गौरव मिश्रा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 76 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.
बता दें कि ये सनसनीखेज घटना 23 अक्टूबर वर्ष 2018 को हुई थी. नगर के आइटीआइ रोड स्थित राजकीय बालिका इंटर कालेज के पास उस समय हमलावरों ने घटना को अंजाम दिया था. जब गोवर्धन प्रसाद अपनी दूसरी पत्नी के पुत्र देवेंद्र मिश्रा के साथ मोटरसाइकिल में आइटीआइ रोड स्थित एक चिकित्सक के यहां इलाज करवाकर वापस लौट रहे थे. जैसे ही जीजीआइसी स्कूल के पास सड़क पर पहुंचे, तो सामने से दो मोटरसाइकिल पर सवार रविशंकर उर्फ बब्बी मिश्रा और उसका पुत्र गौरव मिश्रा, दूसरी मोटरसाइकिल पर तीन अन्य अज्ञात व्यक्तियों ने उसके पिता को रोककर तमंचा और चाकू से हमला कर दिया. जिससे गोवर्धन प्रसाद घायल होकर गिर गया. इसके बाद बदमाशों ने चाकू से गला काट दिया. फिल्मी अंदाज में घटना को अंजाम दिया गया था. उससे पूरे इलाके में दहशत फैल गई थी. गोलियों की आवाज चीख पुकार की आवाजें गूंज उठी थी. स्थानीय दुकानदार व राहगीर भी सहम गए थे और लोग अपने घरों में दुबक गए थे.
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पिता की हत्या करने वाले पुत्र व पौत्र को कोर्ट ने दी आजीवन कारावास की सजा - Father murdered in property dispute
संपत्ति विवाद में बेटे ने अपने पिता की हत्या कर दी थी. कोर्ट ने इस मामले में 8 साल बाद फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हत्या करने वाले पुत्र व पौत्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Oct 1, 2024, 10:12 AM IST
संपत्ति विवाद में दिया था घटना को अंजाम: दिवंगत के पैतृक गांव खखरेडू थाना क्षेत्र के दरियामऊ गांव में 25 बीधे पैतृक जमीन है. वहीं नगर मुख्यालय के शांतीनगर मुहल्ले में मकान भी है. दिवंगत पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद नगर मुख्यालय के शांतीनगर में अपनी दूसरी पत्नी शशि मिश्रा और दूसरी पत्नी से हुए पुत्र देवेंद्र मिश्रा के साथ रहता था. पिता को मौत घाट उतारने वाला पहली पत्नी का पुत्र रविशंकर उर्फ बब्बी मिश्रा, पौत्र गौरव मिश्रा भी समूची संपत्ति पर अपना हक मांग रहे थे. बताते हैं कि दिवंगत गोवर्धन प्रसाद ने पुलिस से सेवानिवृत्ति के बाद मिली वाली धनराशि अपनी दूसरी पत्नी व उसके पुत्र को दे दी थी. नगर मुख्यालय का मकान भी अपनी दूसरी पत्नी के नाम कर दिया था. इससे वह नाराजा था. हालांकि गांव की खेती रविशंकर उर्फ बब्बी मिश्रा ही के पास थी.
इस मामले की अंतिम सुनवाई न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर तीन में हुई. जिसमें कुल 11 साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत हुए. पीठासीन अधिकारी हरिप्रकाश गुप्त ने रविशंकर उर्फ बब्बी मिश्रा व उसके पुत्र गौरव मिश्र को दोष सिद्ध करार दिया. दोषियों को आजीवन कारावास के साथ 76 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई. अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता देवेन्द्र सिंह भदौरिया, प्रमिल कुमार श्रीवास्तव व अनिल कुमार दुबे ने तर्क रखे.
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