प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के लिए वयोवृद्ध दंपती में मुकदमेबाजी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लगता है कलयुग आ गया है. 76-80 वर्षीय पति-पत्नी गुजारा भत्ता पाने के लिए आपस में कानूनी लड़ाई लड रहे हैं. हालांकि कोर्ट ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी किया है. अदालत ने कहा है कि उम्मीद है कि अगली तारीख पर दोनों किसी समझौते के साथ आएंगे.
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अलीगढ़ के मुनेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया. अलीगढ़ निवासी बुजुर्ग मुनेश कुमार गुप्ता ने यह याचिका सीआरपीसी की धारा 125 के तहत फैमिली कोर्ट के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल की है. परिवार न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गुजारा भत्ता को लेकर आदेश दिया गया है.
16 फरवरी 2024 को महानगर के बन्ना देवी क्षेत्र के रहने वाले बुजुर्ग दंपति के बीच 2018 से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में अपर प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ज्योति सिंह की अदालत ने अपना फैसला सुनाया था. पति को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने का आदेश दिया था. 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता (पति) स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत हैं. उनकी पत्नी की आयु भी इस समय 76 वर्ष है.
कहते हैं कि बुढ़ापे में दंपति एक दूसरे का सहारा होते हैं, लेकिन अलीगढ़ बन्नादेवी थाना इलाके के रहने वाले में 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता का अपनी 76 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी से संपत्ति को लेकर विवाद हो गया. ये मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद महिला परिवार परामर्श केंद्र भेजा गया था. वहां काफी समझाने बुझाने के बाद भी दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई और पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहने लगे.
इसके बाद 2018 में पत्नी गायत्री ने परिवार न्यायालय की शरण ली. पत्नी ने भरण पोषण के लिए मुआवजे के रूप में पति से 15 हजार रुपये प्रति माह देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पति को प्रति माह 5 हजार गुजारा भत्ता देने के लिए कहा था. मुनेश कुमार गुप्ता को करीब 35 हजार रुपये पेंशन मिलती है. पति- पत्नी दोनों अलग-अलग रह रहे हैं. पति अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं और उनकी पत्नी अपने बेटे के साथ रह रही हैं. इन दोनों के बीच में संपत्ति का विवाद है. लगभग 6 वर्ष बाद आदेश आया था.
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