लीफ कर्ल वायरस पौधों से सभी पोषक तत्व ही खींच ले रहा है. गोरखपुर: सब्जियों का सेवन सेहत के लिए बड़ा लाभकारी माना जाता है, लेकिन अब एक ऐसे वायरस ने दस्तक दे दी है, जो पौधों से सभी पोषक तत्व ही खींच ले रहा है. खासकर गोभी, बैगन, टमाटर और पपीता के पौधे को यह वायरस तेजी से अपना शिकार बना रहा है. इस वायरस के कारण सब्जियों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के गुण ही खत्म हो जा रहे हैं. इस वायरस ने पाकिस्तान, सउदी अरब, ओमान, बांग्लादेश में पहले ही काफी तबाही मचा रखी है. अब भारत में यह तेजी से पांव पसार रहा है. आइए जानते हैं, कितना खतरनाक है यह वायरस और कैसे इससे किया जा सकता है बचाव.
पौधों की इम्यूनिटी खत्म कर रहा 'लीफ कर्ल वायरस'
सब्जियों के दुश्मन इस वायरस का नाम है 'लीफ कर्ल'. यह तेजी से पांव पसार रहा है. गोभी, बैगन, टमाटर और पपीता के पौधे इसके आसान शिकार हैं. इस वायरस की चपेट में आने से पौधों की ग्रोथ और उनकी प्रोडक्टिविटी पर गंभीर नुकसान होता है. लीफ कर्ल वायरस न सिर्फ भारत में तेजी के साथ फैल रहा है, बल्कि पहले से ही पाकिस्तान, सउदी अरब, ओमान, बांग्लादेश में तबाही मचा रखी है. इस वायरस से मानव शरीर पर तो कोई खास नुकसान नहीं है, लेकिन पौधों की इम्यूनिटी पूरी तरह खत्म हो जाती है. इसका खुलासा किया है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. राजर्षि गौड़ और उनकी रिसर्च स्कॉलर्स टीम ने. करीब 4 साल चले रिसर्च के बाद यह परिणाम अब सामने है. जिसमें घरेलू उपाय के साथ वैज्ञानिक उपाय भी कारगार साबित होंगे
उत्पादन पर नुकसान और बचाव के तरीके
प्रो. राजर्षि गौड़ बताते हैं कि गन्ना शोध संस्थान में गन्ने पर लगने वाले वायरस पर रिसर्च की थी. तभी बाकी सब्जियों और फलदायी पौधों पर अटैक करने वाले वायरस पर भी रिसर्च की. इसी दौरान लीफ कर्ल वायरस का पता चला. यह भारत में ज्यादा तेजी के साथ फैल रहा है. जो गोभी, बैगन, टमाटर और पपीता पर तेजी के साथ उसकी 80-100 प्रतिशत तक की प्रोडक्टिविटी को नुकसान पहुंचा रहा है. इस वायरस से बचाने के लिए प्लांट ट्रॉजिट कर माल्यूकुलर टेक्नोलाजी की मदद से एक नए पौधों का डेवलपमेंट करना है. बायोटेक विधि से इसके वैक्सीन को डेवलप किया गया है. ताकि इन पौधों की इम्यूनिटी बढ़ जाए. इसके लिए लीफ कर्ल वायरस के जीन को डालकर वैक्सीन को बनाया गया. ताकि नए पौधे में शुरुआती दौर में इस वैक्सीन को प्रवेश कर दिया जाए तो इन वायरस की चपेट में यह नहीं आएंगे.
घरेलू उपाय भी कारगर
प्रो. राजर्षि गौड़ ने बताया कि जो पौधे इसकी चपेट में आ गए हैं, उन्हें बाकी पौधों से अलग कर दिया जाना चाहिए. जिससे अन्य पौधे प्रभावित नहीं होंगे. वैक्सीन के प्रयोग के अलावा घरेलू नुस्खे के रूप में नीम के तेल और लिक्विड सोप का भी प्रयोग किया जा सकता है. इससे इन पौधों को बचाया जा सकता है. वैक्सीन जब बाजार में आ जाएगी तो यह कर सुलभ हो जाएगी, जिससे इन पौधों को नुकसान नहीं होगा और उनकी गुणवत्ता भी बनी रहेगी. इस शोध पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बायोटेक डिपार्टमेंट ने दूसरी यूनिवर्सिटी की प्लांट वायरोलाजिस्ट टीम साथ मिलकर जो लीफ कर्ल वायरस पर रिसर्च किया है, वह बेहद सराहनीय है.
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. राजर्षि गौड़ के प्लांट वायरोलॉजिस्ट टीम में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अविनाश मारवाल, डॉ. राकेश कुमार, रिसर्च स्कॉलर विनीता पांडेय और आरपी श्रीवास्तव शामिल रहे. डॉक्टर गौड़ कहते हैं कि पिछले 15 वर्षों से वह पौधों में लगने वाले वायरस पर ही रिसर्च कर रहे हैं. जिसमें पिछले चार साल से चिल्ली पर लगने वाले वायरस पर स्टडी और उनके निदान' पर रिसर्च कर रहे हैं. रिसर्च कार्य में देश के चार राज्यों में यूपी, हरियाणा, दिल्ली व छत्तीसगढ़ से कुल 80 सैंपल कलेक्ट किए गए. सैंपल कलेक्ट करने के दौरान रिसर्च कार्य पूरा होने के बाद इसका इंटरनेशनल जर्नल फ्रंटियर इन माइक्रो बायोलोजी, स्वीटजरलैंड व श्री बायोटेक, आस्ट्रेलिया में प्रकाशन हुआ है. डीडीयूजीयू बायोटेक की रिसर्च स्कॉलर विनीता पांडेय, आरपी श्रीवास्तव, मोदी यूनिवर्सिटी राजस्थान के डॉ. राकेश कुमार वर्मा और मोहनलाल सुखड़िया यूनिवर्सिटी, उदयपुर के डॉ. अविनाश मारवाल इस रिसर्च का हिस्सा रहे.
यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी को दिया विशेष ग्रांट, PM Usha योजना में मिले 100 करोड़, शोध को मिलेगा बढ़ावा
यह भी पढ़ें : कीठम झील में मर रहीं मछलियां, लखनऊ पहुंचा मामला, रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज की टीम करेगी जांच