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दिल्ली: वकीलों ने नए आपराधिक कानूनों का किया विरोध, नारेबाजी के साथ बांटे गए पर्चे - new criminal laws Lawyers protested

LAWYERS PROTESTED AGAINST NEW CRIMINAL LAWS: दिल्ली की सातों जिला अदालतों में सोमवार को वकीलों ने नए आपराधिक कानूनों का विरोध जताते हुए न्यायिक कार्यों से विरत रहे. इसके विरोध में नारेबाजी करने के साथ ही पर्चे बांटे.

नए आपराधिक कानूनों का विरोध
नए आपराधिक कानूनों का विरोध (aa)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 15, 2024, 8:01 PM IST

नई दिल्ली: नए आपराधिक कानूनों के विरोध में सोमवार को दिल्ली के वकीलों ने राजधानी की सातों जिला अदालतों में न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया. इस दौरान वकीलों ने कोर्ट परिसर में नारे लगाते हुए इन कानूनों के विरोध में पर्चे बांटे. इस हड़ताल में वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन की दिल्ली ईकाई ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यूनियन के नेताओं ने इस मौके पर निचली अदालतों के परिसरों में वकीलों और पक्षकारों के बीच इस कानून के विरोध में छपे पर्चे बांटे.

सुबह करीब दस बजे से ही सभी जिला अदालतों में वकीलों ने इन कानूनों के विरोध में नारे लगाना शुरू कर दिया. जिन पक्षकारों के मामलों की आज सुनवाई थी वे बिना वकील के ही कोर्ट में गए और सुनवाई की अगली तिथि लेकर वापस लौटे. कड़कड़डूमा कोर्ट के प्रवेश गेट पर वकील करीब दो घंटे तक नारे लगाते रहे. साकेत कोर्ट में भी सभी वकीलों ने न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया. इसी तरह रोहिणी कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट और द्वारका कोर्ट से वकीलों के कार्य बहिष्कार करने की खबरें मिलीं.

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दिल्ली की सात जिला अदालतों के ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स बार एसोसिएशन कोऑर्डिनेशन कमेटी ने इस हड़ताल का आह्वान किया था. कोऑर्डिनेशन कमेटी के महासचिव अतुल कुमार शर्मा और चेयरमैन जगदीप वत्स ने नए आपराधिक कानूनों को क्रूर बताते कहा है कि नए आपराधिक कानूनों में हिरासत के प्रावधान काफी क्रूर हैं. इससे न्याय मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा. पुलिस स्टेशनों में पक्षकारों के बयानों को दर्ज करना न्याय के हक में नहीं है.

ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के दिल्ली ईकाई के सचिव सुनील कुमार ने कहा कि नए कानून से हमारे देश का चरित्र कल्याणकारी राज्य से बदलकर पुलिसिया राज्य हो जाएगा. पुलिस को असीमित अधिकार मिल जाएंगे. सुनील कुमार ने कहा कि पुलिस हिरासत को 15 दिनों से बढ़ाकर 60 से 90 दिन करने के प्रावधान से हिरासत में प्रताड़ना के मामले बढ़ेंगे. नए भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 के तहत राजद्रोह शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है लेकिन इतना अस्पष्ट है कि ये स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमला है. ये कानून आतंकवाद संबंधी कानूनों को सामान्य बनाने के अलावा पुलिस को मनमाना अधिकार देकर औपनिवेशिक काल से भी ज्यादा क्रूर हैं.

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