पटनाःआरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को अपना 77वां जन्म दिन मनाया. इस खास मौके पर पूरे परिवार के साथ-साथ आरजेडी कार्यतकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया और लालू प्रसाद को लंबी उम्र की शुभकामनाएं दीं. एक साधारण परिवार में जन्म लेकर बिहार के सियासी फलक पर अपनी चमक बिखरने वाले लालू प्रसादआज भी अपनी सियासी रणनीतियों से विरोधियों को धूल चटाने की क्षमता रखते हैं.
लोकसभा चुनाव में दिखा लालू नीति का नतीजाः हाल ही में संपन्न 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आरजेडी अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद ने रणनीतियों का ऐसा ताना-बाना बुना कि विरोधी जाल में फंस गये. चुनाव के दौरान बेशक आरजेडी और महागठबंधन के चेहरे के तौर पर तेजस्वी यादव थे, लेकिन पर्दे के पीछ असल रणनीतिकार लालू प्रसाद ही रहे.
लालू ने खेला कुशवाहा कार्डःअपने MY समीकरण के दम पर बिहार में सालों तक हुकूमत करनेवाले लालू प्रसाद को जब लगा कि उनका ये फॉर्मूला फीका पड़ने लगा है तो बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने कुशवाहा कार्ड खेल डाला. उनकी इस रणनीति के कारण जहां महागठबंधन को जबरदस्त फायदा हुआ वहीं विरोधी इसकी काट नहीं ढूंढ़ पाए.
नीतीश के पारंपरिक वोट में सेंधः बिहार में आम तौर पर कुर्मी और कुशवाहा जाति को नीतीश का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है, लेकिन लालू ने अपनी रणनीतियों से नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने में बड़ी सफलता हासिल की है. संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों में ये साफ दिख रहा है.
महागठबंधन ने कुशवाहा जाति के 7 कैंडिडेट उतारेः बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी 4.21% के आसपास है. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने इस जाति के 7 उम्मीदवारों पर दांव लगाया. औरंगाबाद से अभय कुशवाहा ,नवादा से श्रवण कुशवाहा, उजियारपुर से आलोक कुमार मेहता, मोतिहारी से राजेश कुशवाहा, खगड़िया से संजय कुमार, काराकाट से राजाराम सिंह और पटना साहिब से अंशुल अविजित महागठबंधन की ओर से उतारे गये.
कुशवाहा कार्ड ने बिगाड़ा NDA का खेलः हालांकि महागठबंधन के कुशवाहा जाति के सात उम्मीदवारों में से दो ही लोग चुनाव जीतने में कामयाब रहे- औरंगाबाद से अभय कुशवाहा और काराकाट से राजाराम सिंह, लेकिन लालू का कुशवाहा कार्ड कई सीटों पर NDA की हार बड़ा कारण बना. खास कर शाहाबाद इलाके की सभी सीटों पर इसका खासा असर देखा गया.