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अलवर में लोकदेवता भर्तृहरि धाम पर लक्खी मेला शुरू, बही आस्था की ब्यार - bhartrihari daam mela in alwar - BHARTRIHARI DAAM MELA IN ALWAR

अलवर के प्रसिद्ध लोकदेवता भर्तृहरि धाम का तीन दिवसीय मेला सोमवार से शुरू हो गया. मेले में बड़ी संख्या में साधु संत और आम भक्तों का जुटना शुरू हो गया है. पुलिस प्रशासन ने भी पुख्ता व्यवस्था की है.

bhartrihari daam mela in alwar
अलवर में लोकदेवता भर्तृहरि धाम पर लक्खी मेला शुरू (Phtoto ETV Bharat Alwar)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 9, 2024, 3:17 PM IST

अलवर में लोकदेवता भर्तृहरि धाम पर लक्खी मेला शुरू (Video ETV Bharat Alwar)

अलवर:लोक देवता भर्तृहरि धाम मेले का आगाज सोमवार से हो गया. तीन दिवसीय लक्खी मेले की शुरुआत से पूर्व ही साधु संतों एवं श्रद्धालुओं का भर्तृहरि धाम पहुंचना शुरू हो गया है. अलवर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से ध्वज यात्रा एवं पदयात्रा का भर्तृहरि धाम पहले से ही पहुंच रही है. लक्खी मेला शुरू होने से पहले ही भर्तृहरि धाम परिसर श्रद्धालुओं से भरा नजर आया. मेले के लिए पुलिस, प्रशासन, वन एवं रोडवेज प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए हैं. यह मेला भादो मास का जिले का सबसे बड़ा मेला माना जाता है.

भर्तृहरि मेले का मुख्य आकर्षण दूर दराज से आए साधु संत एवं कनफड़े साधु होते हैं. ये साधु मेला शुरू होने से कई दिन पूर्व ही से मेला स्थल पर धूणा जमा लेते हैं. इनमें कई साधु तरह-तरह के करतब दिखाकर लोगों को आकर्षित भी करते हैं.

सरिस्का के जंगलों में बना है भर्तृहरि धाम:अलवर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर अलवर- जयपुर मार्ग स्थित सरिस्का वन क्षेत्र में भर्तृहरि धाम मंदिर स्थापित है. यह धाम अलवर जिला ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि भर्तृहरिधाम मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. मंदिर के महंत कल्लूराम ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार उज्जैन के महाराजा भर्तृहरि ने वैराग्य धारण कर अलवर की इस तपोभूमि पर समाधि ली थी. उनकी यही समाधि स्थल भर्तृहरिधाम के नाम से विख्यात है. यहां योगीराज भर्तृहरि का समाधि स्थल पारंपरिक राजस्थानी शैली में बना है. यह मंदिर नाथ संप्रदाय से जुड़ा है, जिसके कारण नाथ संप्रदाय के साधु संत यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं.

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मेले में उमड़ती है आस्था: भर्तृहरि धाम पर साल में एक बार लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में आस्था का सैलाब उमड़ता है. बड़ी संख्या में लोग मेला स्थल पर शीतल एवं मीठे जल, शर्बत आदि की प्याऊ लगाई जाती है. भामाशाह की ओर से भंडारों का आयोजन किया जाता है. मेले में आने वाले लोगों को ठहरने, खाने आदि व्यवस्था की जाती है.पुलिस व प्रशासन ने की तैयारी अलवर जिले की लक्की मेले के लिए पुलिस में प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं.

1200 पुलिसकर्मी तैनात: अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के लिए यहां 1200 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं . जिसमें रेंज पुलिस जाप्ता, आरएसी, एसडीआरएफ के जवानों को भी शामिल किया गया है. साथ ही पुलिस प्रशासन व रोडवेज ने कर्मचारियों की छुट्टी पर भी रोक लगा दी. अलवर से मेला स्थल तक चलने वाली बसें भी 4 दिनों तक 24 घंटे चलेगी.

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श्रद्धालु अमर गंगा में नहाने के बाद करते हैं दर्शन:भर्तृहरि धाम के महंत कल्लूराम ने बताया कि मंदिर के पीछे अमर गंगा बहती है, जिसे महाराज भर्तृहरि ने गूलर के पेड़ पर चिमटा मारकर निकाला था. मान्यता है कि अमर गंगा में कभी पानी खत्म नहीं होगा. यहां आने वाले श्रद्धालु अमर गंगा में स्नान करने के बाद बाबा के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर चूरमा, लड्डू, कलाकंद, बर्फी व रसगुल्ले का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

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