उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

रामनगर के 24 वन ग्राम मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर, सुन्दरखाल के ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार!

Sunderkhal Van Gram in Ramnagar रामनगर विधानसभा के 24 वन ग्राम आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. यहां ग्रामीण विस्थापन और राजस्व गांव बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार नेता आते हैं. घोषणाएं और वादा करते हैं, फिर चुनाव हो जाने के बाद वापस मुड़कर नहीं देखते हैं. यह आरोप सुन्दरखाल के ग्रामीणों का है. अब सुन्दरखाल के ग्रामीण ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी है.

Sunderkhal Van Gram
सुन्दरखाल के ग्रामीण

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 11, 2024, 5:32 PM IST

Updated : Mar 11, 2024, 10:13 PM IST

रामनगर के 24 वन ग्राम मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर

रामनगर:आजादी के सात और उत्तराखंड राज्य गठन के दो दशक बीत जाने के बावजूद भी आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. जी हां, गढ़वाल लोकसभा सीट औ रामनगर विधानसभा के अंतर्गत पड़ने वाले वन ग्राम सुन्दरखाल के ग्रामीण विकास से कोसों दूर हैं. इन गांवों में बिजली, पानी आदि की सुविधाएं नहीं हैं. ग्रामीण लगातार विस्थापन और राजस्व गांव बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग की अनदेखी की जा रही है. जिससे खिन्न आकर अब वनग्रामों में रहने वाले ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है.

विकास के इंतजार में ग्रामीण

दरअसल, रामनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कई वन ग्राम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग लंबे समय से सरकार से जहां एक ओर मूलभूत सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर वन ग्रामों को राजस्व गांव बनाने की गुहार भी लगा रहे हैं. जिसे लेकर वो लंबे समय से आंदोलन भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण यहां रहने वाले ग्रामीण तमाम सुविधाओं से दूर है. इन लोगों को अपना विधायक और सांसद चुनने का तो अधिकार है, लेकिन इन्हें सरकार से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है.

सुन्दरखाल क्षेत्र में करीब 2500 वोटर: ऐसा ही एक वन ग्राम रामनगर विधानसभा में सुन्दरखाल गांव हैं. जहां करीब 2500 के आसपास वोटर हैं. यहां के ग्रामीण आज भी राजस्व गांव के दर्जे को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं. राजस्व का दर्जा न मिलने से गांव में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंटरनेट आदि की सुविधा तक नहीं मिल पाती है. राजनीतिक दलों की अनदेखी की वजह से लोग आज भी समाज की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस बार भी राजनीतिक दल उन्हें सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलाएंगे.

सुन्दरखाल में लोगों के घर

सुन्दरखाल के ग्रामीणों ने बताया कि हर चुनाव में नेता उन्हें सुविधाएं दिलाने की कोरी घोषणाएं करते हैं. साथ ही राजस्व गांव का दर्जा देने और विस्थापन का वादा करते हैं, लेकिन जब सत्ता में आते हैं, तब वो गांव की तरफ मुढ़कर भी नहीं देखते हैं. ऐसे में ग्रामीणों को नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं. इस वक्त आलम ये है कि 24 वन ग्राम यानी गांव के लोग सुविधाओं के अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं. सुविधा के नाम पर केवल दो चार गांव में बिजली पहुंचाई गई है, लेकिन बाकी गांव अंधेरे में हैं.

लोकसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी: बता दें कि ये गांव रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आते हैं. जिस वजह से यहां पर सुविधाएं पहुंचाने में पेंच फंसा हुआ है, लेकिन नेता घोषणाओं का लबादा ओढ़कर आते हैं और वोट लेकर निकल जाते हैं. जिस पर सुन्दरखाल गांव के मनोनीत ग्राम प्रधान चंदन राम का साफतौर पर कहना कि वो इस बार पूरी तरीके से लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. उनका कहना है कि उन्हें केवल वोटों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. उनके विस्थापन के साथ ही अन्य मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. वहीं, ग्रामीण महिलाओं का भी सरकार के खिलाफ काफी रोष देखने को मिला.

सुन्दरखाल के ग्रामीण

युवाओं में भी आक्रोश: इसके अलावा युवाओं का कहना था कि डिजिटल इंडिया की बात की जाती है, लेकिन उनके यहां तो बिजली, इंटरनेट आदि कुछ भी नहीं है. साथ ही ग्रामीण बताते हैं कि उनका गांव कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटा हुआ है. जिससे उनके क्षेत्र में वन्यजीवों का खतरा बना रहता है. वन्यजीव भी जंगल से निकलकर लगातार आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में अंधेरा होते ही उन्हें घरों में कैद होना पड़ता है.

24 वन ग्राम में बसती 20 हजार की आबादी: वहीं, राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी कहते हैं कि ये 24 वन ग्राम हैं, जहां के लोग लगातार मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार 'हर घर बिजली', 'हर घर नल' देने के दावे करती है, लेकिन रामनगर विधानसभा के 24 वन ग्राम के 20 हजार से ज्यादा की आबादी बिन बिजली, पानी, सड़क के जीवन यापन कर रहे हैं. जो दुर्भाग्य की बात है. उन्होंने सरकार से इन वन ग्राम में मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने की मांग की.

मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर सुन्दरखाल

कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ने ग्रामीणों को छलावे में रखा: इसके अलावा प्रभात ध्यानी कहते कि कांग्रेस के साथ ही बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वो इन वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित करेंगे. साथ ही मूलभूत सुविधाओं से गांवों को जोड़ेंगे, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ है. दोनों ही सरकारों ने हमेशा से ही वन ग्राम के लोगों के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है. जिसके खिलाफ अब ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. वो अब चुनाव बहिष्कार की भी चेतावनी दे रहे हैं.

"मताधिकार ग्रामीणों का अधिकार है. प्रजातंत्र में मतों का ही महत्व होता है. बहिष्कार करना उचित नहीं है. हमने वनग्रामों के विस्थापन के साथ ही राजस्व गांव बनाने को लेकर काफी कोशिश की है. नियमों के अनुसार ही काम होते हैं. वनग्रामों को लेकर मैं खुद भी चिंतित हूं. इसके विस्थापन और राजस्व गांव बनाने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं." -दीवान सिंह बिष्ट, विधायक, रामनगर

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Mar 11, 2024, 10:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details