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जेपी का गांव सिताब दियारा, दो नदियों के बीच बंटा और बसा, हर साल बाढ़ झेलने को मजबूर

जेपी की आज 122वीं जयंती है. कैसा है जेपी का गांव सिताब दियारा, जो दो राज्यों और दो नदियों के बीच बंटा और बसा है.

जेपी की पुण्यतिथि
जेपी की पुण्यतिथि (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 8, 2024, 10:14 AM IST

Updated : Oct 11, 2024, 9:25 AM IST

छपरा: आज देश में जेपी की जयंती मनाई जा रही है. दो प्रदेशों, दो नदियों और दो जिलों के बीच में स्थित है जेपी का गांव सिताबदियारा. यह गांव भी यूपी और बिहार के गांव की तरह ही एक गांव है, लेकिन यह जेपी की जन्मस्थली है, इसलिए इस गांव का विकास हुआ है. आज भी इस गांव में बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है.

सरयू के किनारे बसा है सिताबदियारा :शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली , पानी जैसी सुविधाएं तो इस गांव में है, लेकिन सबकी स्थिति दयनीय है. यह गांव सारण जिले के रिवील गंज प्रखंड के अंतर्गत आता है. रिवील गंज प्रखंड के सामने सरयू नदी के उस पर यह गांव बसा हुआ है. अगर इस गांव की दूरी की बात करें तो यह रिवील गंज प्रखंड मुख्यालय से 3 से 4 किलोमीटर दूर है.

जेपी की जन्मस्थली कुव्यवस्था की शिकार (ETV Bharat)

बुनियादी सुविधाएं बदहाल: सिताबदियारा जाने के लिए आवागमन की कोई भी सुविधा नहीं है. यहां के लोग उत्तर प्रदेश के चांद दियारा, मांझी के सरयू के पुल होते हुए रिवील गंज स्थित मुख्यालय आते हैं. क्योंकि यहां के लोगों का सभी काम रिवील गंज प्रखंड मुख्यालय में ही होता है. इसलिए मजबूरन इन्हें 36 से 40 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करके रिवील गंज और छपरा आना होता है. यह यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है.

आश्वासन के बावजूद पीपा पुल नहीं बना :स्थानीय लोगों द्वारा बिहार प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई. इसके बावजूद भी आज तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आश्वासन के बाद भी पीपा पुल नहीं बना. इसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है. उनका आक्रोश इस बात से भी है कि स्थानीय विधायक और स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इस गांव को गोद लिया है, जो कि कभी भी नहीं आते हैं.

जय प्रकाश नारायण का घर (ETV Bharat)

'हर साल बाढ़ झेलने को मजबूर' : प्रदीप सिंह बताते हैं कि ''सिताब दियारा गंगा और घाघरा नदियों के बीच बसा है. इस कारण यहां हर साल बाढ़ से तबाही मचती है. इस बात भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है. अगर उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गांवों को समेट दो तो करीब यहां एक लाख लोग रहते हैं.''

जय प्रकाश नारायण के घर का आंगन (ETV Bharat)

सरकारी योजनाओं का हाल बुरा : यहां चल रही योजनाओं का भी काफी बुरा हाल है. यहां पर स्थानीय लोगों ने बताया कि''जेपी का घर तो सरयू की बाढ़ में विलीन हो चुका है. लेकिन उनका एक पुश्तैनी घर यहां है. एक घर यहां से ढाई किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जय प्रकाश नगर में है. आज यहां बिहार सरकार द्वारा काफी बड़ा भवन और पुस्तकालय भी बनाया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा भी एक बड़ा भवन और संग्रहालय यहां पर बनाया गया है. जेपी के इस धरोहर की यह स्थिति है.''

जय प्रकाश नारायण स्माक भवन (्)

भगवान भरोसे स्थानीय लोग: स्थानीय लोगों का आरोप है कि ''यहां की स्वास्थ्य शिक्षा और अन्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से भगवान भरोसे है.'' स्थानीय लोगों को इस बात का भरोसा है कि मोदी सरकार है तो यहां के विकास के लिए कुछ काम करेगी. चाहे यहां के सांसद और विधायक काम करें चाहे ना करें. आज जेपी इस धरोहर की रखवाली के लिए सुरक्षाकर्मी से लेकर कई कर्मचारी मौजूद हैं लेकिन उनकी भी स्थिति काफी खराब है.

सिर्फ सड़कें चकाचक : जहां तक गांव की बात करें तो गांव की सड़कें बिहार के अन्य गांव के सड़कों की तरह ही हैं. हां मुख्य सड़कें काफी चकाचक है. जहां तक इस गांव में सुरक्षा व्यवस्था की बात है तो वह भी पूरी तरह से भगवान भरोसे ही कही जा सकती है. बिहार के मुकाबले उत्तर प्रदेश सरकार ने ज्यादा विकास किया है. सड़कों तथा अन्य सुविधाओं को ज्यादा कारगर बनाया है.

बिहार के मुकाबले यूपी में ज्यादा काम : यूपी के जयप्रकाश नगर बलिया स्थित जेपी के एक अन्य आवास की स्थिति काफी अच्छी है. वहां पर उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा काफी सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा जेपी के इस धरोहर को काफी सुरक्षित और मेंटेन करके रखा गया है. जयप्रकाश ट्रस्ट के बदौलत कई स्कूल और कॉलेज चल रहे हैं.

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Last Updated : Oct 11, 2024, 9:25 AM IST

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