लोहरदगा: जिले के जंगलों और पहाड़ों में रहने वाले लोगों की जिंदगी काफी दयनीय है. इलाके में ना पीने के लिए पानी है, ना सड़क, ना राशन कार्ड है और ना ही अन्य बुनियादी सुविधाएं. उनकी इस कठिन जिंदगी को समझने के लिए, उनकी समस्याओं को हल करने के लिए कोई नहीं जाता. लोहरदगा के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाली आदिम जनजाति परिवारों की हालत भी काफी खराब है. सूचना मिलने पर जिला प्रशासन के अधिकारी ने पहल करने की बात की है.
आदिम जनजाति परिवारों की खराब स्थिति
लोहरदगा जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दूर चपाल गांव में आदिम जनजाति परिवार के साथ-साथ दूसरे समुदाय के लोग भी रहते हैं. इन क्षेत्रों में विकास की किरण नहीं पहुंची है. लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्राप्त नहीं हैं. आदिम जनजाति परिवारों की हालत भी खराब है. सरकार कहती है कि आदिम जनजाति परिवार के घरों तक हम राशन पहुंचाते हैं. वास्तविकता यह है कि इन्हें 10 किलोमीटर दूर जंगली और पहाड़ी रास्ता तय कर राशन लाने के लिए जाना पड़ता है.
इलाके में रास्ते की हालत काफी खराब है. जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है. लोहरदगा जिला में निवास करने वाले 663 आदिम जनजाति परिवारों की स्थिति बेहद दयनीय है. इन लोगों को आवास योजनाओं का भी पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाया है. पेयजल के नाम पर बरसाती नाले में बने हुए चुआं का पानी पीते हैं. बिजली की हालत ऐसी है कि तार टूट जाए तो खुद ही मरम्मत करनी पड़ती है. महीनों तक बिजली के दर्शन नहीं होते हैं. ना रोजगार के साधन हैं और ना ही दूसरी सुविधाएं. समस्या सुनने के लिए भी कोई नहीं आता.