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कोटा फैक्ट्री के जीतू भैया बने IAS डॉ. गोस्वामी, डायलॉग बोला- सेलीब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स - Class of Kota district collector - CLASS OF KOTA DISTRICT COLLECTOR

कोटा में जिला कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी ने एक निजी कोचिंग संस्थान में स्टूडेंट्स की क्लास ली. इस दौरान उन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि वर्तमान में जिंए और रोजना मेहनत करें.

Class of Kota district collector
कोटा कलेक्टर ने स्टूडेंट्स की क्लास (ETV Bharat Kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 21, 2024, 10:52 PM IST

कोटा.कोटा की कोचिंग संस्थान और यहां की पढ़ाई पर बनी हुई फिल्म कोटा फैक्ट्री का तीसरा सीजन 20 जून को ही रिलीज किया गया है. इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे जितेंद्र कुमार 'जीतू भैया' डायलॉग बोलते नजर आते हैं कि 'सेलिब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स'. यही डायलॉग शुक्रवार को कोटा जिला कलेक्टर और आईएएस डॉ रविंद्र गोस्वामी ने भी बोला और स्टूडेंट का मनोबल बढ़ाया. वे कामयाब कोटा अभियान के तहत स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने के लिए संवाद निजी कोचिंग संस्थान के सत्यार्थ कैंपस पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने बच्चों की क्लास ली.

इस दौरान सक्सेज नहीं होने की बात पर कहा कि मैं आप सभी को सेल्यूट करता हूं कि आप सभी ने तैयारी करने का साहस दिखाया. हममें से हर कोई बॉर्डर लाइन पर है. आप लोग अलग हो, क्योंकि आप अनुभव ले रहो हो. संघर्ष करना सीख रहे हो, कम्पीटिशन हर जगह है, जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है. वर्तमान में जिएं और रोजाना मेहनत करें. पढ़ने का तरीका सभी का अलग-अलग हो सकता है. इसलिए पढ़ते समय घंटे नहीं गिनें. मैं तो यही सोचता हूं कि रोज अच्छी मेहनत करूं और अच्छी नींद लूं. प्लान ए के लिए कोशिश कर रहे हो, लेकिन प्लान बी भी साथ रखो.

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टॉस करके ली थी बायोलॉजी: एक स्टूडेंट के सवाल पर डॉ गोस्वामी ने कहा कि आप सभी के पास आज बहुत साधन और संसाधन हैं. इनका सदुपयोग करें. मुझे जब दसवीं में 84 प्रतिशत अंक आए तो बहुत बड़ी बात थी. तब राजस्थान बोर्ड में इतने नम्बर बहुत अच्छे होते थे. लोगों ने सलाह दी कि साइंस ले लो. अब साइंस के बारे में पूछा तो पता चला कि मैथ्स और बॉयो अलग-अलग है. कौनसी लें, क्यों ले? कुछ पता नहीं, समझाने वाले नहीं, इतना पता था कि बॉयलोजी में चित्र बनाने पड़ते हैं और मैथ्स में सवाल होते हैं. मैंने सिक्का उछाला और टेल आने पर बॉयलोजी ले ली. इसके बाद भी मैं कई परीक्षाओं में पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ, लेकिन मैंने फिर भी आगे बढ़ना नहीं छोड़ा.

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फालतू के काम और ओवर थिंकिंग पर यह बोले: स्टूडेंट से डॉ गोस्वामी ने कहा कि यदि आपको लगता है कि फालतू के कार्यों में समय बर्बाद हो रहा है, तो अटेंशन प्लान आईडेंटिफाई करना जरूरी है. हमें पता होना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं, वहां कितना समय जाएगा. किस काम को कब करना है और कितने समय में करना है, यह तय होना चाहिए. इसके बाद पछतावा नहीं होगा कि मेरा समय खराब हुआ है.

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वहीं ओवर थिंकिंग होती है, तो जो बात हम सोचते हैं, उस सब्जेक्ट को लिखो. आप देखोगे कि दो से तीन सब्जेक्ट आप लिख नहीं सकोगे. ऐसे में हमारा सोचना कम हो जाएगा. दूसरी बात जो ख्याल आपको आ रहे हैं, उसके बारे में माता-पिता को पत्र भी लिख सकते हैं. पत्र में साफ करें कि मैं ये सोचता हूं और इसे दूर करने की कोशिश करूंगा. अपनी कमजोरी के बारे में लिख सकते हैं.

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