झुंझुनू :बाबा श्याम के प्रति श्रद्धा और भक्ति का केंद्र, मिनी खाटू धाम के नाम से देशभर में विख्यात झुंझुनू के खाटूश्यामजी मंदिर इस वर्ष फाल्गुन मास में 12 दिवसीय वार्षिक लक्खी मेले का आयोजन करने जा रहा है. 28 फरवरी से शुरू होने वाले इस मेले में देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे. अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष करीब 50 लाख भक्त बाबा श्याम के दर्शन के लिए पहुंचेंगे. खाटूश्यामजी का दरबार न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी भक्ति और आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है.
सूरजगढ़ का निशान ही क्यों चढ़ाया जाता है? : खाटूश्यामजी मंदिर में हर साल फाल्गुन मास की बारस को एकमात्र सूरजगढ़ का निशान शिखरबंध पर चढ़ाया जाता है. इस परंपरा के पीछे एक ऐतिहासिक एवं चमत्कारी घटना जुड़ी हुई है, जिसे प्राचीन श्याम मंदिर के महंत मनोहर भगत व मोहनलाल ने साझा किया. वो बताते हैं कि करीब 150 वर्ष पूर्व खाटूश्यामजी मंदिर में यह विवाद उत्पन्न हुआ कि सिर्फ सूरजगढ़ का निशान ही सबसे पहले क्यों चढ़ाया जाता है, जबकि देशभर से हजारों की संख्या में निशान आते हैं. इस मतभेद को हल करने के लिए खाटूश्याम मंदिर कमेटी ने एक परीक्षा रखी.
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ये थी परीक्षा : परीक्षा के तहत मंदिर के पट बंद कर दिए गए और एक ताले की परीक्षा रखी गई. शर्त यह थी कि जिस निशान के स्पर्श से ताला खुलेगा, वही निशान सबसे पहले चढ़ाया जाएगा. देशभर से आए निशानों को ताले से स्पर्श कराया गया, लेकिन कोई भी ताला नहीं खोल सका. अंत में सूरजगढ़ का निशान लाया गया और जब मोरपंख की छड़ी से ताले को स्पर्श किया गया तो ताला अपने आप खुल गया. यह घटना बाबा श्याम की अनुकंपा और चमत्कार के रूप में देखी गई. तब से लेकर आज तक हर साल सिर्फ सूरजगढ़ का ही निशान खाटूश्यामजी के शिखर पर चढ़ाया जाता है.
पदयात्रा में सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलती हैं महिलाएं (ETV Bharat Jhunjhunu) सूरजगढ़ से खाटूश्यामजी तक पदयात्रा :सूरजगढ़ स्थित प्राचीन श्याम दरबार से फाल्गुन माह में हजारों श्रद्धालु पदयात्रा के जरिए खाटूश्यामजी पहुंचते हैं. यह यात्रा चार दिन में पूरी की जाती है और इसकी विशेषता यह है कि पदयात्रा में महिलाएं सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलती हैं, जो मन्नत पूरी होने पर उनकी श्रद्धा और तपस्या का प्रतीक है. सैंकड़ों श्रद्धालु ऊंट-गाड़ियों के साथ सूरजगढ़ निशान के साथ यात्रा करते हैं. इस दौरान भक्तजन भजन-कीर्तन और जयकारों के साथ बाबा श्याम का गुणगान करते हुए आगे बढ़ते हैं. फाल्गुन मास की बारस को सूरजगढ़ का निशान खाटूश्यामजी के शिखर पर चढ़ाया जाता है. यह निशान वर्षभर बाबा श्याम की कीर्ति और यश का प्रतीक बनकर मंदिर में लहराता रहता है.
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377वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से जारी :राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित सूरजगढ़ कस्बा अपनी भक्ति और आस्था के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थित प्राचीन श्याम दरबार मंदिर को 'मिनी खाटू' के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष माघ एकादशी के पावन अवसर पर प्राचीन श्याम दरबार मंदिर का 377वां दो दिवसीय वार्षिकोत्सव भव्य रूप से मनाया जा रहा है. मंदिर को बंगाल से आए कलाकारों ने विशेष रूप से सजाया, जिससे इसकी भव्यता और भी अधिक बढ़ गई. मंदिर परिसर में नृसिंह दरबार को सुंदर रूप से सजाया गया है. दिल्ली, कोलकाता, जयपुर, धनबाद और रींगस से आए प्रसिद्ध भजन गायक कलाकारों ने भजन संध्या का आयोजन किया, जिसमें हजारों श्रद्धालु भक्ति में डूब गए. बारस को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करेंगे.
शिखर पर चढ़ने वाला देश का एकमात्र निशान, सूरजगढ़ निशान (ETV Bharat Jhunjhunu) वार्षिकोत्सव के दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली गई :377वें वार्षिकोत्सव के दौरान, सूरजगढ़ में भव्य शोभायात्रा निकाली गई. शोभायात्रा कस्बे के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी. इस दौरान श्रद्धालु हाथों में निशान, ध्वज और श्याम ध्वनि के साथ शोभायात्रा में शामिल हुए. मंदिर परिसर और शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ बाबा श्याम की महिमा का गुणगान किया.